वॉशिंगटन. दुनियाभर में इंटरनेट की आजादी कम हो रही है और भारत में इस मामले में पीछे नहीं है। राजनीतिक दल सोशल मीडिया का इस्तेमाल राजनीति को गंदा करने और सामाजिक नियंत्रण के लिए कर रहे हैं। यह दावा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट अधिकार समूह, ‘द फ्रीडम हाउस’ ने 2019 के लिए ‘फ्रीडम ऑन द नेट’ रिपोर्ट में किया है। इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘सोशल मीडिया का संकट’ है, जिसमें जून 2018 से मई 2019 के बीच वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता में गिरावट दर्ज की गई।
रिपोर्ट के मुताबिक इस साल हुए आम चुनावों में प्रमुख पार्टियों ने गलत सूचना और प्रचार-प्रसार के लिए बड़ी संख्या में वालंटियर और बॉट्स (इंटरनेट प्रोगाम) की तैनाती की। इसलिए मुक्त नहीं कहा जा सकता। इसी आधार पर भारत को 100 में से 55 अंक दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों ने वाट्एसप और फेसबुक का जमकर इस्तेमाल किया। भाजपा ने 12 लाख तो कांग्रेस ने 8 लाख समर्थकों की फौज लगाई।
इंटरनेट एवं डिजिटल मीडिया स्वतंत्रता के लिहाज से पाकिस्तान 10 सबसे बुरे देशों में से है। उसे महज 26 अंक मिले हैं। पाकिस्तान में चुनाव में भी गड़बड़ियां हुईं। इसमें पाया गया कि गलत या भ्रामक जानकारियां फैलाने के लिए सबसे ज्यादा पक्षपाती टीकाकारों, बोट या समाचार वेबसाइटों के प्रयोग जैसे उपायों के साथ ही वेबसाइट को ब्लॉक करना या उससे संपर्क पर जानबूझकर लगाए जाने वाले प्रतिबंधों जैसी तकनीकी चालों का इस्तेमाल किया गया।
- दुनिया में 3.8 अरब लोगों के पास इंटरनेट है
- 71% यूजर उन देशों में हैं, जहां राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक मामलों में पोस्ट करने पर जेल हुई
- 65% उन देशों में हैं जहां पर 2018 में ऑनलाइन गतिविधियों के हमले या हत्याएं हुईं
- 56% लोग उन देशों में जहां वेब कंटेंट ब्लॉक किया गया।