indian railway engine is best

रेल इंजन बिना बंद हुये लाखो किलोमीटर कैसे चलता है

Ezeonsoft Tech News Market News Science

ओवरहीटिंग और अन्य समस्याओं के बिना ट्रेन के इंजन कई किलोमीटर तक लगातार कैसे चलते हैं?

From Steam Engines To Touching 180 km/hr: Timeline Of Indian Railways

डीजल इंजन तो शुरू से ही 3500 किलोमीटर तक निरन्तर बिना बन्द हुए चलते रहता है । यहां कुछ स्पष्टीकरण आवश्यक है कई किलोमीटर लगातार चलते रहना तो भारत में कोई भी ट्रेन 500- 600 किलोमीटर से ज्यादा लगातार बिना रुके नहीं चलती है क्योंकि उसके बाद कोई स्टेशन आ जाता है जहां ट्रेन का स्टॉपेज निर्धारित है । लगातार चलते रहने का अर्थ इंजिन को बिना बंद किए हुए चालू रखना लिया जा रहा है ।

वर्तमान के डीजल इंजन 30 दिन तक लगातार बिना रुके चल सकते हैं । प्रति दिन का यदि 500 किलोमीटर भी रखते हैं तो 30 दिनों में 15000 किलोमीटर बिना इंजन बंद किए हुए चलते रह सकता है।

Also read:- लेख में दम है-सरकार को अब लॉक डाउन पूरी तरह हटा देना चाहिए

ऐसा कैसे संभव है – इसके अनेकों कारण है लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कारण निम्नवत है।

  1. रेल के डीजल लोकोमोटिव में लगे हुए इंजन की स्पीड अत्यंत कम होती है और लगभग 400 – 1000 rpm (आरपीएम ) होती है बनिस्बत 2000- 4000 आरपीएम कार /ट्रक के ।  समुद्री जहाज का यह और भी कम होता है और 100 rpm के आसपास होता है। 
  2. इंजन के ढांचे को जिसे इंजन ब्लॉक भी कहा जाता है ठंडे पानी से ठंडा किया जाता है। इनमें पानी के प्रवाह हेतु वाटर जैकेट होते हैं।
  3. इंजन के कलपुर्जे खासकर- पिस्टन, कनेक्टिंग रोड और क्रैंक शाफ़्ट जहां पानी नहीं पहुंच सकता है उसे लुब्रिकेटिंग ऑयल या स्नेहक द्वारा निरंतर ठंडे रखा जाता है।
  4. इंजन को ठंडा रखने के कारण लुब्रिकेटिंग ऑयल स्वयं गर्म हो जाता है तो उसे लुब्रिकेशन आयल कूलर में ठंडे पानी से ठंडा किया जाता है।
  5. also read: 5 मेड इन इंडिया Social Media एप्स apps
  6. इस कारण पानी गर्म हो जाता – उस पानी को रेडिएटर द्वारा ठंडा किया जाता है। रेडिएटर में ज्यादा प्रभावी ढंग से पानी को ठंडा किया जा सके इसके लिए बड़े-बड़े पंखे लगाए जाते हैं यह पंखे अकारण हाई स्पीड में नहीं चलते रहे इसके लिए इंजन में टेंपरेचर सेंसर लगाया जाता है और पंखा स्लो मीडियम और फास्ट इन स्पीडों में चल सकता है और पानी बहुत ज्यादा गरम हो जाए तो यह इंजिन कंट्रोल प्रणाली को सूचना देता है और इंजन बंद हो जाता है।
  7. महंगी से महंगी कार और रेलवे इंजन में एक बुनियादी फर्क यह है कि रेल इंजन में ठंडा करने हेतु पानी वायुमंडल से ज्यादा दबाव में रहता है। इसी कारण यह 100 ℃ पर नहीं खौलता है बल्कि 110℃ के आसपास खौलता है इसी कारण इंजन को ठंडा रखने वाला पानी भाप बन कर उड़ता नहीं है।
  8. Also read: वे कौन-कौन सी तकनीके हैं जो केवल भारत के पास हैं?

लुब्रिकेशन आयल कूलर

स्रोत: emd(इ एम डी) लोको camtech (कैम टेक) मैन्युअल

Also read: 5G नेटवर्क से स्वास्थ्य ख़राब होगा या ये अज्ञानता की बाते है?

निष्कर्षतः

सड़क वाहनों की तुलना में रेल के इंजन में निम्नलिखित प्रणाली अतिरिक्त तौर पर या ज्यादा संवर्धित होती हैं

  1. इंजन के घूमने की गति का कम होना
  2. लुब्रिकेशन आयल कूलर
  3. प्रेसराइज़्ड वाटर कूलिंग सिस्टम
  4. अति शक्तिशाली रेडियेटर
  5. नियमित अनुरक्षण
  6. know more : – भारतिए लोगों के चेहरे बायीं तरफ टेढ़े हो रहे हैं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *