गैजेट डेस्क. फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग रोकने के लिए इनके अकाउंट को आधार नंबर से लिंक करने पर अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा। मद्रास, बॉम्बे और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में दायर इससे जुड़ी आठों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट ने अपने यहां ट्रांसफर कर ली हैं। सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने के नियमों के नोटिफिकेशन पर कोर्ट ने केंद्र से जनवरी तक रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई जनवरी के आखिरी सप्ताह में होगी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियां सरकार के साथ डेटा साझा नहीं करती हैं तो उन्हें भारत नहीं आना नहीं चाहिए। इस पर जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा, ‘यह तो ऐसा है जैसे सरकार मालिक से चाबी मांग रही है और कंपनी कह रही है कि चाबी नहीं है। अंदर से बंद दरवाजा आप बाहर से खोल लो। कानून स्पष्ट नहीं है कि कोर्ट सोशल मीडिया कंपनियों को बाध्य कर सकता है या नहीं?’ इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार नया कानून ला सकती है।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि सरकार के पास विचाराधीन नियमों का मसौदा व्यक्ति की निजता में दखल का हथकंडा है। इनके तहत सरकार किसी संदेश की शुरुआत करने वाले तक पहुंचने के लिए इन प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी तय कर सकती है। इस पर ,सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रयास है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि आतंकवादी निजता के अधिकार का दावा नहीं कर सकते।
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि इंटरनेट ऐसे संभावित खतरे के रूप में उभरकर सामने आया है, जो लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था को अकल्पनीय नुकसान पहुंचा सकता है। निजता के नाम पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग की इजाजत नहीं दे सकते हैं। सरकार प्रभावी कदम उठाना चाहती है। इससे जुड़े नियम तैयार करने में तीन महीने लगेंगे। उम्मीद है कि जनवरी 2020 तक नियम बन जाएंगे।
सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से जोड़ने की चर्चा पर मद्रास, बॉम्बे और मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में कुल आठ याचिकाएं लंबित हैं। इन सभी याचिकाओं को एक जगह ट्रांसफर करवाने के लिए फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। तमिलनाडु सरकार द्वारा फेसबुक की मांग पर विरोध वापस लिए जाने के बाद जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने इन्हें सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर दिया।