सरकार का इजरायली फर्म से कोई लेना-देना नहीं है: सूत्र

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गैजेट डेस्क. वॉट्सऐप के जरिये पत्रकारों और एक्टिविस्ट की जासूसी का सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ के साथ भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। सरकार के एक शीर्ष सूत्र ने शुक्रवार को यह बात कही।

गोपनीयता की शर्त पर सूत्र ने कहा कि मई में साइबर अटैक हुआ था, लेकिन उसके बाद सूचना प्रोद्यौगिकी मंत्रालय के अधिकारियों के साथ हुई बैठकों में वॉट्सऐप ने इसका खुलासा नहीं किया। वॉट्सऐप के ग्लोबल हेड विल कैथकार्ट जुलाई में और फेसबुक के वाइस प्रेसीडेंट निक क्लैग सितंबर में अधिकारियों से मिले थे। सूत्र ने खुलासे की टाइमिंग पर सवाल उठाया है। सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोकने से जुड़े नियमों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन महीने में रिपोर्ट मांग रखी है। सूत्र ने आशंका जताई कि खुलासे के पीछे सरकार को जवाबदेही के नियम तैयार करने से रोकना तो नहीं है। सूत्र ने कहा कि सरकार वॉट्सऐप से मैसेज भेजने वालों को ट्रेस करने की सुविधा की मांग जारी रखेगा। वॉट्सऐप निजता का हवाला देकर इससे इनकार कर रहा है। जासूसी प्रकरण पर कंपनी का जवाब मिलने के बाद सरकार आगे की कार्रवाई पर फैसला करेगी। अभी यह साफ नहीं है कि एनएसओ ने भारत में अपना सॉफ्टवेयर किसे बेचा था। यह भी नहीं पता है कि पत्रकारों और एक्टिविस्ट को किसके कहने पर निशाना बनाया गया।

वॉट्सऐप ने कहा- सख्त कदम उठाए हैं
वॉट्सऐप ने कहा है कि उसने भारत सरकार की शिकायत गंभीरता से ली है। वह इस बात से भी सहमत है कि सभी नागरिकों की निजता की सुरक्षा होनी चाहिए। कंपनी ने कहा है कि वह सरकार के साथ खड़ी है और इस दिशा में कई सख्त कदम उठाए हैं।

वॉट्सऐप डिजिटल पेमेंट सर्विस की योजना पर भी उठे सवाल
सरकारी सूत्रों ने बताया कि जासूसी की ताजा घटना का असर वॉट्सऐप की डिजिटल पेमेंट सर्विस की शुरुआत पर भी पड़ सकता है। इस सर्विस के लिए फुलप्रूफ सिस्टम होना जरूरी है। अभी वॉट्सऐप को डिजिटल पेमेंट सर्विस शुरू करने की मंजूरी नहीं मिली है। सूत्र ने बताया कि यह घटना वॉट्सऐप की सुरक्षा पर सवाल उठाती है।

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Whatsapp spy, indian Government has nothing to do with Israeli firm: sources
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