हर व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ती है। जरूरत के हिसाब से कर्ज छोटा या बड़ा हो सकता है।
हर व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कर्ज लेने की आवश्यकता पड़ती है। जरूरत के हिसाब से कर्ज की रकम छोटी या बड़ी हो सकती है। मसलन, घर या गाड़ी खरीदते समय हमें बैंक से लोन की जरूरत पड़ती है। इसी तरह अचानक किसी बड़े खर्चे के आ जाने पर हम अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार या ऑफिस में साथ काम करने वाले व्यक्ति से पैसे उधार लेते हैं अन्यथा बड़े खर्चे का भुगतान क्रेडिट कार्ड से करके उसको सुविधानुसार भविष्य में चुकाते हैं। इस तरह कर्ज भले छोटा हो या बड़ा इसकी जरूरत समय समय पर हर किसी को पड़ती रहती है।
www.ezeonsoft.com की टीम इस आर्टिकल में अपने पाठकों को कर्ज लेने से पहले जरूरी नौ बातों को ध्यान में रखने की सलाह देता है। ऐसा करने पर न तो आप कभी कर्ज के जाल में फंसेंगे और न ही आपको अपना बजट गड़बड़ाता महसूस होगा।
कर्ज लेने से पहले याद रखें ये जरूरी नौ बातें
- कर्ज भुगतान की क्षमता (रिपेमेंट कैपेसिटी) के अनुरूप ही लें उधार
कर्ज किसी भी माध्यम से लें इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रकम आपकी कर्ज चुकाने की क्षमता के हिसाब से ही हो। अर्थात अपनी नियमित आय से पैसा बचा कर आप लोन की रकम एक निश्चित समय में चुका सकने में सक्षम हों।
” एक्सपर्ट मानते हैं कि आपके कुल कर्ज की मासिक किश्त आपकी मासिक आय के 15 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।उदाहरण के तौर पर अगर आप 40,000 रुपए महीना कमाते हैं तो आपके सभी प्रकार के कर्ज की EMI 6000 रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इससे ज्यादा EMI होने पर आपकी भविष्य की योजनाएं या मासिक बजट प्रभावित हो सकता है।“
- कर्ज कम से कम समयावधि के लिए लें
कर्ज चुकाने की समयावधि जितनी लंबी होती है उतनी ही ज्यादा राशि आपको लोन के भुगतान में चुकानी होती है। ऐसा माना जाता है कि लोन का कार्यकाल जितना छोटा हो उतना अच्छा है। कर्ज चुकाने की समयावधि बढ़ाने पर EMI की राशि तो कम हो जाती है लेकिन कर्जदाता की ओर से चुकायी जाने वाली कुल रकम बढ़ जाती है।
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए कि कार्तिक ने 10 फीसदी की दर से 50 लाख रुपए का लोन 20 वर्षों के लिए लिया है। इसमें उसकी EMI 48,251 रुपए होगी।
अगर वह अपनी EMI 5 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा दे तो यह लोन 12 साल में पूरा हो सकता है।
वहीं EMI 10 फीसदी की दर से सालाना बढ़ा देने पर लोन 9 वर्ष 3 महीने में खत्म हो जाएगा।
- EMI निश्चित समय पर ही दें
इस बात का ध्यान जरूर रखें कि कर्ज चाहे छोटे समय के लिए हो जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बिल या लंबी अवधि का जैसे होम लोन, भुगतान समय पर करें। अगर आप एक भी किश्त देने से चूक जाते हैं या फिर पेमेंट में देरी करते हैं तो इसका असर सीधा क्रेडिट प्रोफाइल पर पड़ता है। जिसके कारण भविष्य में लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
- निवेश करने या फिजूलखर्ची के लिए कर्ज न लें
निवेश करने के लिए पैसे उधार न लें। निश्चित रिटर्न देने वाले निवेश विकल्प जैसे फिक्सड डिपॉजिट, बॉण्ड कभी भी लोन पर लिए जाने वाले ब्याज की बराबरी नहीं कर सकते। इक्विटी में निवेश बेहद अस्थिर होते हैं। ऐसे में निवेश करने के लिए कभी भी निवेश न करें। साथ ही अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कभी भी लोन न लें।
- बड़ी राशि वाले लोन के साथ इंश्योरेंस जरूर लें
अगर आप होम लोन या कार लोन जैसा कोई बड़ा लोन लेते हैं तो साथ में इंश्योरेंस लेना न भूलें। जैसे कि लोन की राशि के बराबर का टर्म प्लान लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपको कुछ हो जाता है और आप पर आश्रित लोग EMI नहीं चुका पाते तो कर्जदाता आपके एसेट्स ले लेता है। टर्म प्लान लेने से आपकी अनुपस्थिति में घर वालों को आर्थिक तंगी से नहीं जूझना पड़ेगा।
- खरीदारी करते समय बाजार में कीमतों की तुलना कर लें-
अगर आप कर्ज लेकर कोई संपत्ति खरीद रहे हैं तो बाजार में कीमतों की तुलना जरूर कर लें। सही डील मिलने पर आपको हो सकता है कि कम राशि का ही लोन लेना पड़े। लोन की राशि जितनी कम होगी कर्जदाता के लिए यह उतना ही अच्छा होगा।
- कर्ज से जुड़ी नियम व शर्तें जरूर पढ़ें-
किसी भी आकस्मिक स्थिती से बचने के लिए लोन लेते समय नियम व शर्तें जरूर पढ़ें। अगर आप कानूनी दस्तावेज का संदर्भ नहीं समझ पा रहे हैं तो किसी वित्तीय सलाहकार की मदद लें।
- सभी कर्जों को एक जगह से लेने का प्रयास करें
अगर आपने एक से ज्यादा लोन ले रखे हैं और ये सब अलग अलग बैंक या वित्तीय कंपनियों से हैं तो कोशिश कीजिए कि इन सभी को एक ही बैंक या वित्तीय कंपनी में ट्रांस्फर करवा लें। लोन की रकम एक जगह हो जाने पर बैंक आपको बैलेंस ट्रांस्फर जैसी सुविधाओं के अंतर्गत आकर्षक ब्याज दरें ऑफर कर सकता है। ऐसा करने से आप पर EMI का बोझ कम हो जाएगा। साथ ही समय-समय पर मिलने वाली अतिरिक्त आय का भी इस्तेमाल कर्ज चुकाने के लिए करें। अगर आप नौकरीपेशा हैं तो कंपनी में बोनस मिलने पर, इंक्रीमेंट या इंसेंटिव हाथ आने पर आपको अपने कर्ज का भुगतान कर देना चाहिए।
- जरूरी चीजों के लिए लोन जरूर लें भविष्य के लिए की गई योजनाओं को प्रभावित न करें
सरल शब्दों में समझें तो कभी भी अपने बच्चों की पढ़ाई या शादी के लिए रिटारमेंट फंड का इस्तेमाल न करें। पढ़ाई के लिए लोन और स्कॉलरशिप जैसे विकल्प मौजूद हैं जिसमें पढ़ाई का खर्चा कवर होता है। लेकिन बाजार में ऐसा कोई आकर्षक प्रोडक्ट नहीं जिसके जरिए आप अपनी रिटारमेंट की जरूरतों को पूरा कर सकें। ध्यान रखें कि रिटारमेंट योजना भी बच्चे की पढ़ाई जितनी ही जरूरी होती है। एक अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग की खासियत यही है कि एक जरूरत को पूरा करने के लिए दूसरी जरूरी चीज के प्लान को प्रभावित न करें।