- Fake न्यूज की हैं ये 10 पहचान, Facebook पर ऐसे पहचानें!
- WhatsApp पर Fake News को कैसे पहचाने
Fake न्यूज की हैं ये 10 पहचान, Facebook पर ऐसे पहचानें :-टॉप सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने हाल ही में अपने इंडियन फेसबुक यूजर्स के लिए एक नई मुहिम शुरू की है। इसके तहत अखबारों में विज्ञापन के जरिए यूजर्स को फेक न्यूज से सावधान किया गया। फेसबुक इन दिनों तेजी से फेक न्यूज के खिलाफ लड़ रहा है। फेसबुक ने अपने इस विज्ञापन में कहा कि वो अकेला नकली खबरों के से नहीं निबट सकता है और इसमें उसका साथ उसके यूजर्स को भी देना होगा। इस समस्या से मिलकर ही निबटा जा सकता है।
फेसबुक ने इस विज्ञापन के अलावा यूजर्स को फेक न्यूज के प्रति जागरुक करने के लिए नकली खबरों को पहचान के लिए 10 टिप्स जारी किए हैं। इनमें फेसबुक पर आने वाली इमेज से लेकर हैडलाइन्स तक शामिल हैं। यहां हम आपको वो 10 पॉइंट्स बता रहे हैं, जिनसे फेक खबरों की पहचान की जा सके।
अगर आपके पास कोई खबर किसी तस्वीर के साथ आती है, तो सबसे पहले उस तस्वीर को ध्यान से देखें क्योंकि फेक न्यूज में तस्वीरों को क्रोप करके या फोटोशॉप के इस्तेमाल से एडिट किया जाता है। इन्हें गौर से देखने पर पहचाना जा सकता है।
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हैडलाइन- ऐसी खबरों की हेडलाइंस बहुत अट्रैक्टिव होती हैं और इनके सारे अक्षर Caps यानी की बड़े होते हैं। इनमें कई बार विशेष चिन्ह जैसे “!” का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी हैडिंग पर यकीन करने की जगह आप गूगल के जरिए सही जानकारी ले सकते हैं।
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यूआरएल- नकली लगने वाला या किसी और URL से मिलता-जुलता न्यूज URL हो, तो यह फर्जी खबर हो सकती है। बहुत सी फेक खबरों वाली वेबसाइट्स URL में थोड़े बदलाव करके असली खबरों के सोर्स की नकल करती हैं।
सोर्स- किसी खबर की असली-नकली पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका होता है कि उसके सोर्स की जांच की जाए। किसी अनजान सोर्स से आई खबर पर यकीन करने की जगह उसकी जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट के ‘About’ सेक्शन पर जाएं।
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फॉर्मेट- फर्जी खबर वाली बहुत सी वेबसाइट्स पर स्पेलिंग की गलतियां मिलती हैं, जो कि बहुत कॉमन स्पेलिंग होती हैं। साथ ही इनका बिगड़ा हुआ लेआउट(फॉर्मेट) देखने को मिलता हैं। अगर आपको ऐसे चीज़े दिखती हैं तो खबर फेक हो सकती है।
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डेट- फर्जी या मनगढंत खबरों पर ऐसी टाइमलाइन हो सकती हैं, जिनका कोई मतलब ही नहीं निकलता हो या फिर उनमें इवेंट की तारीखों को बदला गया होता है। ऐसी स्थिति में कुछ तो कई सालों पुरानी खबरें वायरल हो रही होती हैं।
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सबूत- न्यूज की सच्चाई को जानने के लिए न्यूज राइटर के बताए गए सोर्स को देखें। अगर सोर्स मौजूद नहीं है या अनाम एक्सपर्ट के हवाले से खबर दी गई है, तो इसकी प्रबल संभावना है कि ये खबर फेक हो सकती है। हां, अगर उनमें से किसी सोर्स ने भी यह खबर दी है तो फिर यह सही हो सकती है।
‘वेबकूफ’ बनने से बचें, इस तरह पहचाने असली और नकली का डिफरेंस :- थोड़ी के बाद पता चलता है कि खबर फेक थी और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ FIR होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पहचाने कि खबर रियल है या फेक.
कुछ दिनों पहले सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने अपने इंडियन फेसबुक यूजर्स के लिए एक नई मुहिम शुरू की है। इसके तहत अखबारों में विज्ञापन के जरिए यूजर्स को फेक न्यूज से सावधान किया गया। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे पहचाने कि कोई खबर रियल है या फेक क्योंकि हर दिन कोई न कोई न्यूज, पिक्चर या वीडियो वायरल हो रहा होता है. आप वेबकूफ न बने इसके लिए आपको बस थोड़ा सा सजग रहना है और किसी भी जानकारी को लोगों के साथ शेयर करने पहले 2 मिनट का वक्त लेकर श्योर हो जाएं कि आप रियल न्यूज शेयर करें न कि फेक न्यूज शेयर कर वेबकूफ बने।
ऐसे पहचाने फेक न्यूज को
फेक न्यूज की headline कैपिटल लेटर में और काफी संशेनल होती है । अगर ऐसी कोई न्यूज आपको मिलती है तो सबसे पहले उसके url को गूगल पर वैरीफाई करें।
सोर्स की करें पड़ताल
खबर असली है या नकली ये पहचानने का सबसे अच्छा तरीका होता है सोर्स । किसी अनजान सोर्स से आई खबर पर यकीन करने की जगह उसकी जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट के ‘About’ सेक्शन पर जाएं। इसी तरह से अगर कोई फोटो आती है तो ध्यान से देखें कि कहीं वो फोटोशॉप तो नहीं, श्योर होने के लिए गूगल इमेज का इस्तेमाल करें.
Quotes पर ध्यान दें
खबर में जिन्हे कोट किया गया है उनपर स्पेशल ध्यान दें अगर किसी रिसर्च की खबर है तो उस इंस्टीट्यूट का नाम पता करने की कोशिश करें और उसके बारे में जानकारी लें.
खबर कहीं मजाक तो नहीं
कई वेबसाइट्स ऐसी हैं जो जानबूझकर मजाक या वयंयग के तौर पर ऐसी खबरे पब्लिश करती है, तो देखे कि जिस वेबसाइट पर खबर या जानकारी है कहीं इनका फॉर्मेट व्यंयग तो नहीं.
सामाजिक जानकारी सच का पता करना है झूठ फैलाना नही.
आपको याद होगा कि हाल ही में अभिनेत्री प्रिया प्रकाश का विंक वीडियो वायरल हुआ था. उसके बाद सीमा पर शहीद हुए जवान कपिल कुंडू की शहादत को मीडिया की जिम्मेदारी से जोड़कर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें मीडिया के टीआरपी के लिए पागल होने की बात कही गयी थी लेकिन सच तो ये था कि दोनो बातों मे एक सप्ताह का अंतर था. तो ऐसी पोस्ट का मकसद लाइक और शेयर हासिल करना भर होता है। ऐसे पोस्ट्स के जाल में न फंसकर बल्कि घटनाओं के घटनाक्रम को पता करने की कोशिश करें और वेबकूफों की जमात का हिस्सा न बनें।
रिपोर्ट्स- कुछ खबरों न तो अखबारों में आती हैं और न न्यूज चैनल में फिर भी वो सोशल मीडिया पर तैरती रहती हैं। ऐसी खबरों की रिपोर्ट्स को अखबार और टीवी पर खोजें। अगर ये वहां उपलब्ध नहीं है, तो हो सकता है कि ये फेक हो।
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झूठ- आप जो न्यूज़ पढ़ते हैं उस पर ठीक से ध्यान दें और सिर्फ उन्हीं को शेयर करें जिन पर आपको भरोसा हो, क्योंकि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बड़ी तेजी से फेक खबरें शेयर होती हैं।
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WhatsApp पर Fake News को कैसे पहचाने
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