Boeing’s spacecraft lost its way, recalled
अमरीका की विमान बनाने वाली कंपनी बोइंग को अपने अंतरिक्ष यान का परीक्षण रोकना पड़ा है. इसमें रॉकेट के साथ एक मानवरहित कैप्सूल लगाया गया था.
कैप्सूल किसी अंतरिक्षयान में रॉकेट से इतर वह हिस्सा होता है जहां पर अंतरिक्ष यात्री बैठ सकते हैं. बोइंग का इरादा सफल परीक्षण के बाद इस कैप्सूल में इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने का था.
‘द स्टारलाइनर’ नाम के इस कैप्सूल को अमरीका के फ़्लोरिडा से एटलस रॉकेट के साथ सफ़लतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था, लेकिन कुछ तकनीकी गड़बड़ियां आने की वजह से यह कैप्सूल अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के निर्धारित रास्ते से भटकने लगा.
माना जा रहा है कि ‘द स्टारलाइनर’ कैप्सूल के इंजन से बहुत ज़्यादा ईंधन खर्च हो रहा था. इसके चलते मिशन को पूरा करने के लिए ईंधन की कमी महसूस हो सकती थी.
अब स्टारलाइनर को वापस पृथ्वी पर आना होगा. उम्मीद है कि स्टारलाइनर अगले 48 घंटों में न्यू मैक्सिको में लैंड कर सकता है. इसकी सॉफ़्ट लैंडिंग के लिए पैराशूट और एयरबैग्स का इस्तेमाल किया जाएगा.nullआपको ये भी रोचक लगेगा
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US aircraft maker Boeing has to stop testing its spacecraft. An unmanned capsule was attached to it with a rocket.
A capsule is the part of a spacecraft apart from a rocket where astronauts can sit. Boeing intended to send humans to space in this capsule after successful testing.
The capsule, named ‘The Starliner’, was successfully launched with an Atlas rocket from Florida, USA, but due to some technical glitches, the capsule deviated from the designated path of the International Space Station.
It is believed that the engine of ‘The Starliner’ capsule was consuming too much fuel. Due to this, there could be a lack of fuel to complete the mission.
Now Starliner has to come back to Earth. It is expected that Starliner can land in New Mexico in the next 48 hours. Parachutes and airbags will be used for its soft landing.
कैसे हुई गड़बड़ी?
नासा के प्रशासक जिम ब्राइडेन्सटाइन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि स्टारलाइनर के साथ समय को लेकर गड़बड़ियां पैदा हो गई थीं.
उन्होंने बताया कि स्टारलाइनर एक ऑटोमैटिक कैप्सूल है. समय के संदर्भ में हुई गड़बड़ी की वजह से वह अपने मिशन से भटक गया और ग़लत इंजन को चलाने की कोशिश करने लगा.
बाद में फ़्लाइट को नियंत्रित करने वाले कर्मचारियों ने इस समस्या का पता लगाया लेकिन वो इसे तुरंत नहीं रोक पा रहे थे क्योंकि कैप्सूल दो सैटलाइट लिंक के बीच से गुज़र रहा था.
ब्राइडेन्स्टाइन प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान उत्साहित बने रहे और उन्होंने दिन भर के घटनाक्रम से सकारात्मक पहलुओं की ओर ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा, ”बहुत सी चीज़ें सही हुईं. यही वजह है कि हम यह परीक्षण कर रहे थे.”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्टारलाइनर कैप्सूल के अंदर अंतरिक्षयात्री होते तो शायद वो इस गड़बड़ी को ठीक कर देते और उसे दोबारा स्पेस स्टेशन की तरफ मोड़ने में कामयाब हो जाते.
नासा के अंतरिक्षयात्री माइक फिंक ने भी इस बात पर सहमति जताई है. माइक भविष्य में स्टारलाइनर कैप्सूल में सवार होकर अंतरिक्ष में जाने के लिए चुने जा चुके हैं.
उन्होंने कहा, ”अगर हम उस कैप्सूल में होते तो शायद हम फ़्लाइट कंट्रोल टीम को हालात से निपटने के लिए कुछ और विकल्प दे पाते.”
साल 2011 में जब से शटल्स की सेवाएं समाप्त हुई हैं तब से अमरीकी अंतरिक्षयात्री प्रक्षेपण के लिए अपनी ज़मीन का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं.
स्टारलाइनर और स्पेस एक्स कंपनी के ड्रैगन नामक एक और कैप्सूल को इसीलिए तैयार किया गया है ताकि इससे अमरीका एक बार फिर अपनी धरती से अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेज सके.
How did the mess happen?
NASA Administrator Jim Brydenstein told a press conference that there were problems with Starliner over time.
He told that Starliner is an automatic capsule. Due to the disturbances in terms of time, he deviated from his mission and tried to run the wrong engine.
Later, the flight control staff detected the problem but were not able to stop it immediately as the capsule was passing between two satellite links.
Brydenstein remained upbeat during the press conference and drew attention to positive aspects from the day’s events. He said, “A lot of things went right. That is why we were doing this test.
He also said that if there were astronauts inside the Starliner capsule, he would have probably rectified the mess and managed to turn it again towards the space station.
हालांकि इसका बिज़नेस मॉडल पुराने मॉडल से अलग है. इस नए मॉडल के तहत नासा कैप्सूल को पूरा खरीदने और उसका संचालन संभालने की बजाय उसमें सिर्फ़ सीटों को खरीदेगा.
वहीं बोइंग और स्पेस एक्स जैसी कंपनियां अपने कैप्सूल में मौजूद जगह को बेचने के लिए आज़ाद रहेंगी. वह इस जगह को दूसरी स्पेस एजेंसियों को भी बेच सकती हैं.