आपकी कुकरी 98 तक पहुच गई है, बस ओर दो अंक. आप जित गये. लेकिन 99 पर एक बड़ा साप मंडरा रहे है जो आपको काफी निचे लाकर पटकेगा.
बस यही खेल है जो काफी हद तक आपकी किस्मत पर निर्भर रहता है. भारत में मोबाईल की क्रांति के पहले 90′ के दशक में ये बहुत लोकप्रिय खेल था. जो गर्मियों की छुट्टी में खेलते थे. अब ये मोबाइल में भी खेला जाता है.
लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की इस खेल की उत्पत्ति भारत में हुई. लेकिन उनका मूल रूप और आज के रूप में कोई साम्यता नही है.
प्राचीन भारत में ये खेल मोक्षपट या मोक्ष पाटमू नाम से जाना जाता था.
कुछ इतिहासकारों का दावा है कि इस खेल को दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में खेला गया था, लेकिन कुछ लोगो का मानना है कि स्वामी ज्ञानदेव ने 13 वीं शताब्दी ईस्वी में इस खेल का आविष्कार किया था।
[3] स्वामी ज्ञानदेव
खेल को भाग्य और इच्छा के बारे में बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए आविष्कार किया गया था.
सीढ़ी अच्छे कामों का संकेत देती है जबकि साँप बुराईयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अच्छे कर्म के कारण हम 100 के करीब जाते हैं, जो मोक्ष का प्रतीक है ,जबकि बुराई का परिणाम शून्य आता है।
मूल खेल में यह समझाने के लिए ही ज्यादा सांप थे. बुराई के जीवन की तुलना में अच्छाई का रास्ता कठिन है ये बताने के लिए.
खेल 19 वीं सदी के अंत में अंग्रेजो की बदौलत इंग्लैंड चला गया. जहा 1943 में मिल्टन ब्रैडली द्वारा अमेरिका चला गया फिर वापस “अपडेट” होकर भारत आ गया.
[6] मिल्टन ब्रैडली
फुटनोट
[1] https://roar.media/hindi/main/hi…
[2] सांप सीढ़ी खेल की शुरुआत कैसे हुई, जानिए सांप सीढ़ी से जुड़ी रोचक बातें – Azab Gazab | DailyHunt
[3] संत ज्ञानेश्वर की कालावधि में ‘सांपसीढी’ का खेल ‘मोक्षपट’ के रूप में पहचाना जाता था : प्रा. जेकॉब, डेन्मार्क
[4] Snakes & Ladders Was Invented In India But The Original Version Is Nothing Like What It’s Now
[5] Moksha Patam: Indian Snakes and Ladders: bought in a Trichy temple