ट्यूबहीन टायर बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

ट्यूबहीन टायर बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

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ट्यूबहीन टायर बनाने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

मेरे कई जवाबों में मैं इस वाक्य को तकिया कलाम की तरह इस्तेमाल कर चुका हूँ, एक बार फिर से कहना चाहूँगा कि, “परिवर्तन संसार का नियम है।”

और खासतौर पर जब ऐसा परिवर्तन बहुत सी अच्छाइयों को अपने साथ लेकर आए तो उसका तो स्वागत ही किया जाना चाहिए।

ट्यूबहीन या ट्यूब विहीन टायर भी कुछ-कुछ ऐसा ही परिवर्तन है जो अपने साथ बहुत सी अच्छाइयाँ लेकर आया है, जिनके बारे में जानकर आप स्वयं ही कहेंगे कि ट्यूब विहीन टायर बनाने की आवश्यकता वाकई थी।

आइए जानते हैं ट्यूब विहीन टायर की आवश्यकता क्यों पड़ी →

पहिये और टायर!!! पहली बात जो हमारे दिमाग में आती है वह है पुरानी भारतीय बैलगाड़ी का पहिया, जो अपने जीवनकाल में कभी भी नष्ट नहीं होता था, और इसे धातु के बैंड से बनाया जाता था जो लकड़ी के पहियों के चारों ओर फिट किए जाते थे ताकि टूट-फुट और घिसाव को रोका जा सके।

फिर इंजन चालित वाहनों की शुरुआत के बाद, टयूब वाले टायर चलन में आए। ट्यूब वाले टायर, मूल रूप से अन्य यौगिक रसायनों के साथ प्राकृतिक रबर और कपड़े से बने होते हैं। वाहन के वजन को सम्हालने एवं पकड़ बनाये रखने के लिए इनमें ट्रेड्स भी होते हैं। ये टायर ज्यादातर न्यूमैटिक (दबाव-वायु) होते हैं, जो हैलोजनयुक्त ब्यूटाइल रबर  ट्यूब के साथ आते हैं।

न्यूमैटिक टायरों के पारंपरिक डिजाइनों के लिए एक अलग आंतरिक ट्यूब की आवश्यकता होती है जो गलत टायर फिटिंग या टायर की सतह और अंदरूनी ट्यूब (दबाव वाली हवा की कमी के कारण) के बीच घर्षण की वजह से अत्यधिक गर्मी पैदा होकर टायर फटने की वजह से समस्या पैदा कर सकते हैं।

ट्यूब टायर:

आइए पहले परम्परागत ट्यूब वाले टायरों के बारे में थोड़ा और जान लेते हैं।

ट्यूब प्रकार के टायरों में हवा, एक ट्यूब के अंदर भरी जाती है, जिसके लिए ट्यूब में एक वाल्व फिट जाता है। यदि कोई वस्तु टायर में छेद करती है, तो यह ट्यूब के गुब्बारे की तरह फटने का कारण बन सकती है या यह ट्यूब में एक छेद बनाती है जिसके माध्यम से हवा बाहर निकलने लगती है। हवा रिसने के कारण ट्यूब पिचक जाता है और वाल्व रिम छेद से बाहर निकल जाता है। इस प्रकार रिसने वाली हवा वाल्व छेद के माध्यम से रिम से बाहर निकलने लगती है, जिससे तत्काल ही पूरी हवा बाहर निकल जाती है।

इस प्रकार चलते-चलते हवा के दवाब में अचानक कमी या टायर फट जाना खतरनाक है, क्योंकि यदि गाड़ी की गति थोड़ी भी ज्यादा है तो वो नियंत्रण से बाहर हो कर दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है।

ट्यूब विहीन टायर के फायदे:

इसलिए टयूब टायरों की तुलना में, ट्यूब विहीन टायर्स अत्यधिक फायदेमंद हैं, ये अपनी कीमत के बदले उपयोगकर्ता को सुरक्षा, विश्वसनीयता, बेहतर राइड\ हैंडलिंग और बेहतर माइलेज के रूप में बढ़िया सेवा प्रदान करते हैं।

हालांकि ट्यूब विहीन टायर भारतीय सड़कों के लिए थोड़े नए हैं, लेकिन तथ्य यह है कि वे अन्य देशों में पिछली आधी सदी से ज्यादा समय से, और साथ ही हमारे सार्क पड़ोसी देशों में कई दशकों से उपयोग में लाए जा रहे हैं।

टेक्नोलॉजी:

ट्यूब विहीन टायर में कोई ट्यूब नहीं है। टायर और पहिये का रिम हवा को सील करने के लिए एक एयरटाइट कंटेनर का काम करता है क्योंकि ट्यूब विहीन टायर में अभेद्य हेलोब्यूटिल[3] का एक आंतरिक अस्तर होता है। चूंकि यहाँ वाल्व सीधे रिम पर लगाया जाता है, इसीलिए यदि एक ट्यूब विहीन टायर पंचर हो जाता है, तो हवा कील द्वारा बनाए गए छेद से ही निकलती है। अतः यहाँ पंचर होने और हवा निकल कर टायर के पूरी तरह फ्लैट होने के बीच पर्याप्त समय मिलता है।

ट्यूब विहीन टायर की विशेषताएं:

इन टायरों में फटने और अधिक गति पर तेजी से हवा निकलने की घटनाएं अत्यंत दुर्लभ हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर सुरक्षा मिलती है और वाहन ड्राइवर के नियंत्रण में रहता है।

जब कोई वस्तु टायर में छेद करती है, तो वहाँ फटने के लिए कोई ट्यूब नहीं होती और वाल्व भी रिम के छेद से बाहर नहीं निकलता है क्योंकि इसको वहाँ फिक्स किया जाता है।

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इस प्रकार हवा को बाहर निकलने के लिए कोई आसान रास्ता नहीं मिलता। क्योंकि टायर को इस प्रकार बनाया जाता है कि ज्यादातर मामलों में इसकी रबर इसमें धंसी हुई कील वगैरह को कस कर जकड़ लेती है, फिर भी थोड़ी बहुत हवा तो निकलती ही है, लेकिन ये अपेक्षाकृत धीरे-धीरे रिसती है।

यह टायर रिम के साथ बेहतर सीलिंग के लिए मजबूत किनारों के निर्माण के कारण उच्च गति प्रदर्शन और आरामदायक ड्राइविंग के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा ट्यूब टायरों की तुलना में इस टायर के हल्के वजन के कारण बेहतर माइलेज भी मिलता है।

भारत में, शुरू में एसयूवी जैसे सुजुकी ग्रैंड विटारा, शेवरले फॉरेस्टर, फोर्ड एंडेवर और होंडा सीआरवी में ट्यूब विहीन टायर्स का उपयोग किया गया।

फिर होंडा एकॉर्ड, होंडा सिटी, ओपल वेक्ट्रा, मर्सिडीज की सभी कारें, शेवरले ऑप्ट्रा, होंडा सिविक, और यहां तक ​कि फोर्ड आइकॉन और टोयोटा क्वालिस के सभी उच्च संस्करणों में भारतीय सड़कों पर ड्राइविंग के लिए उपलब्ध अतिरिक्त सुविधाओं के तौर पर ट्यूब विहीन टायर का उपयोग किया जाने लगा।

आज की तारीख में लगभग सभी दोपहिया वाहनों एवं इकोनॉमी कार मॉडलों में भी रोड सुरक्षा के विकल्प के तौर पर ट्यूब विहीन टायर ही लगाए जा रहे हैं।

आपके सुझावों का स्वागत है।

धन्यवाद।

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