गैजेट डेस्क, रवि शर्मा, पुणे. कोई भी अच्छा फोन, लैपटॉप या गैजेट खरीदना अब मामूली निवेश नहीं रह गया है। हजारों से लाखों की कीमत में खरीदे गए ये गैजेट बेहद ‘सस्ती’ गलतियों से जल्द बूढ़े यानी खराब हो सकते हैं। अक्सर हो जाने वाली इन पांच गलतियों से बचेंगे तो गैजेट की लाइफ लंबी बनी रहेगी।
लगातार चार्ज करना
नए जमाने की बैट्री ऐसी हैं कि जरूरत पूर्ति चार्ज होने के बाद उनका मैकेनिज्म उन्हें एडिशनल चार्जिंग से रोक लेता है। यह बात स्मार्टफोन, टैबलेट्स और लैपटॉप्स पर बराबरी से लागू होती है। अब पूरी रात किसी भी गैजेट को चार्जिंग पर छोड़ना भले ही नुकसानदायक नहीं रह गया हो, लेकिन फिर भी अगर अपने गैजेट को आराम देना चाहते हैं, तो उसे पूरी तरह से बंद कर दें। इसी तरह लैपटॉप पर काम करते वक्त भी उसे लगातार चार्ज पर रखना बंद कीजिए।
प्रकृति के ज्यादा नज़दीक होना
स्मार्टफोन्स को प्रकृति की अति से बचाकर चलना चाहिए। प्रकृति इन पर कोई दया नहीं दिखाती है। गर्म कार हो या समुद्र तट… सूरज की गर्मी फोन को खराब करेगी। अत्यधिक गर्मी से ना केवल बैट्री के लीक होने का डर होता है बल्कि डेटा उड़ या करप्ट हो सकता है। इसी तरह अत्यधिक ठंड में भी डिस्प्ले से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं और ग्लास भी टूट सकता है। ज्यादा ठंड से बैट्री लाइफ भी प्रभावित होती है।
फुल चार्ज होने का लालच
बैट्री को हमेशा 40 से 80 परसेंट के बीच ही चार्ज रखना चाहिए। इसकी वजह यह है कि जिस बैट्री में ज्यादा वोल्टेज होगा, वो ज्यादा तनाव में रहेगी। लैपटॉप की बैट्री में तयशुदा चार्ज-डिस्चार्ज चक्र होते हैं। अगर बार-बार बैट्री पूरी ड्रेन हो रही है, तो इसकी उम्र कम होना तय है। इसलिए भी बैट्री कम से कम 40 फीसद तक चार्ज रखना चाहिए।
नियमित सफाई नहीं करना
हफ्ते में एक बार गैजेट की सफाई जरूरी है। लैपटॉप खूब उपयोग में लाते हैं, तो मानकर चलिए इसका फैन दुनियाभर की धूल खींच चुका होगा, जिसे निकाला ना गया तो ओवरहीटिंग की दिक्कत तो आएगी ही, परफॉर्मेंस में भी उतार-चढ़ाव महसूस करेंगे। यही बात फोन पर भी लागू होती है।
सस्ती एसेसरीज़ का उपयोग
चार्जर हो या केबल, फोन के लिए कंपनी एक सेट साथ ही देती है। इसके अलावा इन्हें किसी सस्ते चार्जर या केबल के संपर्क में ना लाएं। ये सस्ते चार्जर उस वोल्टेज की आवश्यकता को पहचान ही नहीं सकते जो आपके फोन के लिए जरूरी है। धीमा चार्ज होना इसकी निशानी है। वैसे सस्ते चार्जर से दूसरे खतरे भी हैं क्योंकि यह मानकों को ध्यान में रखकर नहीं बनाए जाते हैं।