आपने छतों पर खेती करने की खबरें तो खूब सुनी होगी लेकिन क्या कभी आपने ये सुना है कि लोग दिवालों पर भी खेती कर रहे हैं। सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर है लेकिन सच है। जैसा की आजकल देख रहे है बढ़ती आबादी के कारण उपजाऊ जमीन पर घर बनाए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि जब खेत ही नहीं होंगे तो अनाज कैसे पैदा होगा ?
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खेती में अपने प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध इजरायज इसका तोड़ ढूंढ लिया है। इजरायल एक नए प्रयोग के तहत दीवारों पर सब्जियां उगा रहा है।
दीवार पर खेती करने के तकनीक को वर्टिकल फार्मिंग कहते है। यह तकनीक धीरे-धीरे दुनिया में काफी लोकप्रिय हो रही है। यह तकनीक अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, इजराइल, चीन, कोरिया, जापान और भारत के बड़े शहरी इलाकों में तेजी से फैल रही है।
इजराइल में तो इसे खास तौर पर खेती के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। इजराइल जैसे देशों में जमीन की खासी कमी है, इसी समस्या से निजात पाने के लिए वहां लोगों ने वर्टिकल फार्मिंग का विचार अपनाया। यह आधुनिक कृषि के लिए एक नया क्षेत्र हैं दुनिया की आधी से ज्यादा जनसंख्या शहरों में होती है जहां से खेत बहुत ही ज्यादा दूर स्थित होते हैं। घने शहरों में लोगों का ध्यान इस तकनीक पर ज्यादा गया है।
इजरायल ने खाद्य उत्पादन के लिए वर्टिकल फार्मिंग के तहत एक क्रांतिकारी वर्टिकल गार्डन बनाया है। इस पद्धति से बड़ी-बड़ी इमारतों दीवारों पर चावल, मक्का और गेहूं और कई प्रकार की सब्जियों का उत्पादन हो रहा है। इस नई विधि से दीवार की दोनों ओर वर्टिकल गार्डेन बनाया जाता है। इस काम में एप्पल, गूगल, फेसबुक और इंटेल जैसी बड़ी -बड़ी कंपनियां जुड़ी हैं जिनके सहयोग से इजरायल में अभी 100 से ज्यादा दीवारों पर ऐसी खेती की जा रही है।
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कैसे काम करती है यह तकनीक
वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक इन इलाकों में कई तरह के समाधान लाती है। अपने घर की दीवार को एक छोटा सा फार्म बनाने के मौका का विचार कई लोगों को आकर्षित कर रहा है। कई लोग इसके जरिए अपने घर की दीवार को सजावट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो कुछ लोग इसके जरिए अपनी पसंद की सब्जी ऊगाने के लिए।
इस तकनीक के सरलतम रूप में दीवार पर ऐसी व्यवस्था की जाती है की पौधे अलग से छोटे-छोटे गमलों में लगाए जाते हैं और उन्हें व्यवास्थित तरीके से दीवार पर इस तरह से रख दिया जाता है कि वे गिर न सकें। इनकी सिंचाई के लिए खास तरह की ड्रॉप इरिगेशन की तरह की व्यवस्था होती है जिससे इन पौधों को नियंत्रित तरीके से पानी दिया जाता है और इससे पौधों को दी जानी वाली पानी की मात्रा तो नियंत्रित होती है, पानी की बचत भी बहुत बचत होती है. इस पूरी सिंचाई व्यवस्था को कम्प्यूटर के जरिए नियंत्रित भी किया जा सकता है। हां यह जरूर है कि इन पौधों को खास समय पर यानी कि थोड़ा विकसित होने पर ही दीवार पर लगाया जाता है।
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पर्यावरण को फायदा
वर्टिकल फार्मिंग तकनीक से पर्यावरण को भी बहुत फायदा है। इसके जरिए शहरी इलाकों में काफी हरियाली नजर आती है। इसके साथ ही दीवार पर पौधे होने से घर के तापमान में वृद्धि नहीं होती और यह आसपास के वातावरण में नमी बनाए रखता है। इससे ध्वनिप्रदूषण का असर भी कम होता है।इसमें पानी का बहुत किफायत तरीके से उपयोग होता है जो परंपरागत गार्डनिंग से बहुत बेहतर है।
वर्टिकल फार्मिंग में सबसे ज्यादा चर्चित हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और एरोपोनिक्स जैसी तकनीकों की खासी चर्चा है। हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी का उपयोग नहीं होता है और उसके बिना ही पौधों को एक सोल्यूशन में उगाया जाता है। एरोपोनिक्स में तो केवल हवा में ही पौधों को विकसित किया जाता है।एरोपॉनिक्स का फिलहाल बहुत ही कम उपयोग देखा गया है, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स या एक्वापोनिक्स में लोगों की दिलचस्पी खासी बढ़ रही है।
इस तकनीक का खासतौर पर शुरुआती खर्च बहुत ज्यादा होता है। लेकिन इसके बाद भी शहरी इलाकों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है
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