25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस क्यो मनाया जाता है ?
tulsi pujan diwas kyo manaya jata hai ?
हमारा भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में आकर भारतीय दिव्य संस्कृति को खत्म करने के लिये अपनी पश्चिमी संस्कृति थोपना चाहा, लेकिन भारत में आज भी कई साधु-संत एवं हिन्दूनिष्ठ हैं जो भारत में राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों से टक्कर लेकर भी समाज उत्थान के लिये हिन्दू संस्कृति को बचाने का दिव्य कार्य कर रहे हैं
ईसाई धर्म का त्यौहार 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के बीच में मनाया जाता है, जिसमें Festival के नाम पर शराब और कबाब का जश्न मनाना, डांस पार्टी आयोजित करके बेशर्मी का प्रदर्शन करना, लाखों पेड़ काटना , पशुओं की हत्या करके उसका मांस खाना, सिगरेट, चरस आदि पीना यह सब किया जाता है जो कि भारतीय त्यौहारों के विरुद्ध है । ऐसा करना ऋषि-मुनियों की संतानों को शोभा नहीं देता है ।*
रिपोर्ट के अनुसार- 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक*
14 से 19 वर्ष के बच्चें शराब का जमकर सेवन करते हैं।
शराब की खपत तीन गुना बढ़ जाती है ।
70% तक के किशोर इन पार्टियों में शराब का जमकर सेवन करते हैं ।
आत्महत्यायें काफी बढ़ जाती हैं।
25 दिसंबर को दारू का सेवन, मांस के सेवन, पेड़ काटने, और प्लास्टिक उपयोग से आने वाली हिन्दू धर्म को बचना के लिए व इन सबसे बचने के लिए और संस्कृति व राष्ट्र को बचाने के लिए हिन्दू संतो और महात्माओं ने मिलकर तुलसी पूजन दिवस के रूप मे मनाने का निर्णय लिया इसलिए 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है
देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र का हित करने के लिए हिन्दू संतों ने 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक (7 दिवसीय) “विश्वगुरु भारत कार्यक्रम” का आयोजन चालू करवाया है उसमें तुलसी पूजन, जप-माला पूजन एवं हवन, गौ-गीता-गंगा जागृति यात्रा, राष्ट्र जागृति संकीर्तन यात्रा, व्यसनमुक्ति अभियान, योग प्रशिक्षण शिविर, राष्ट्रविद्यार्थी उज्ज्वल भविष्य निर्माण शिविर, सत्संग आदि कार्यक्रमों का आयोजन उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में किया जाता है
आधुनिक विज्ञान भी तुलसी पर शोध कर इसकी महिमा के आगे नतमस्तक है । आधुनिक रसायनशास्त्रियों के अनुसार ‘तुलसी में रोग के कीटाणुओं को नाश करने की विशिष्ट शक्ति है । रोग-निवारण की दृष्टि से तुलसी महाऔषधि है, अमृत है ।
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