- एमएस ऑफिस के बाद सबसे ज्यादा निशाना वेब ब्राउजर (13.47 फीसदी) को बनाया गया
- टॉप-5 देशों की बात की जाए तो यूएस के बाद सबसे ज्यादा सायबर हमले नीदरलैंड में हुए

साइबर क्राइम एक्टिविटी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इस साल साइबर क्रिमिनल्स के निशाने पर सबसे ज्यादा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रोडक्ट्स रहें। बुधवार को कम्प्यूटर सिक्योरिटी वेबसाइट के मैक्रो मैथ्यू ने बताया कि 2019 की तीसरी तिमाही तक दुनियाभर के 73 फीसदी माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रोडक्ट्स को साइबर क्राइमिनल्स ने निशाना बनाया। वहीं प्रीसाइज़सिक्योरिटी डॉट कॉम की दी जानकारी के अनुसार अन्य चीजों के साथ हैकर्स और अटैकर्स ने ऑपरेटिंग सिस्टम और ब्राउजर जैसी एप्लीकेशनंस को सबसे ज्यादा निशाना बनाया।
रशिया में सायबर अटैक के मामले सबसे कम…
- माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस प्रोडक्ट्स के बाद 13.47 फीसदी के साथ वेब ब्राउजर दूसरे स्थान रहा, जो साइबर अटैक से सबसे ज्यादा प्रभावित रहा। इसके बाद 9.9 फीसदी के साथ एंड्रॉयड, 2.39 फीसदी के साथ जावा, 1.57 फीसदी के साथ एडोब फ्लैश और 0.66 फीसदी के साथ पीडीएफ का स्थान आता है।
- एमएस ऑफिस में सबसे ज्यादा खामियां इसकी स्टेक ओवरफ्लो एरर से संबंधित रहीं। हालांकि इसके अलावा अन्य खामियां जैसे CVE-2017-8570, CVE-2017-8759, and CVE-2017-0199 भी सायबर अटैक से सबसे ज्यादा प्रभावित रहीं।
- रिपोर्ट के मुताबिक, जीरो-डे इश्यू के संबंधित खामी भी CVE-2019-1367 भी सुर्खियों में रही, इसके जरिए किसी भी अन्य कम्प्यूटर में अतिसंवेदनशील रिमोट कोड को एग्जीक्यूट कराया जाता था साथ ही मेमोरी करप्शन जैसी गंभीर गतिविधिओं को अंजाम दिया जाता था।
- वेबसाइट द्वारा किए गए सायबर अटैक में टॉप पांच देशों की लिस्ट में 79.16% के साथ यूएस, 15.58% के साथ नीदरलैंड, 2.35% के साथ जर्मनी, 1.85 के साथ फ्रांस और 1.05% के साथ रशिया का स्थान आता है।
- कम्प्यूटर सिक्योरिटी की बात की जाए तो हैकर्स और साइबर क्रिमिनल्स सॉफ्टवेयर में मौजूद इन्हीं बग और खामियों को ढूंढते रहते हैं ताकि इनकी मदद से किसी खास सॉफ्टवेयर और कम्प्यूटर प्रोग्राम को नुकसान पहुंचाते हैं। मैथ्यू ने बताया कि कई बार कंपनियों और कस्टमर्स पर हुए साइबर अटैक काफी महंगे साबित होते हैं।
- देखा जाए तो ब्राउजर ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें कई सारी खामियां मौजूद होती हैं। ऐसे में हैकर्स इन्हीं सबका फायदा उठाने के लिए हर समय इनकी खामियों का ढूंढते रहते हैं।