सरकार भारत में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक विधेयक पेश करने वाली है और इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा (digital currency) के लिए फ्रेमवर्क बनायेगी।
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सरकार के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी पर अस्पष्टता समाप्त होने की उम्मीद है जो भारत में न तो प्रतिबंधित है और न ही वैध है। RBI ने बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने पर प्रतिबंध लगा दिया था मार्च मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रतिबंध को हटा दिया था।
लोकसभा बुलेटिन के अनुसार आधिकारिक डिजिटल करेंसी नियमन विधेयक 2021 (The Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) को संसद के बजट सत्र में पेश किये जाने की संभावना है।
वहीं CNBC TV18 के मुताबिक इस विधेयक से भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का फैसला होगा। हालांकि यह इसकी निहित प्रौद्योगिकी (underlying technology) और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ अपवादों की अनुमति भी देता है।
यदि ये विधेयक पारित हो जाता है, तो क्रिप्टोक्यूरेंसी को कानूनी लेन-देन और मुद्रा के रूप में उपयोग करने से प्रतिबंधित कर देगा। इसके अतिरिक्त, क्रिप्टोक्यूरेंसी को भुगतान प्रणाली से बाहर रखा जाएगा।
इसके अलावा केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी विधेयक (cryptocurrency bill) के अंतर्गत किसी भी प्रकार के अपराध होने पर आरबीआई को नियामक और प्रवर्तन निदेशालय के रूप में नामित करना चाहती है।
इसके पहले भुगतान प्रणाली पर 25 जनवरी को जारी आरबीआई बुकलेट में कहा गया था कि केंद्रीय बैंक यह पता लगा रहा है कि क्या रुपये के डिजिटल संस्करण को जारी किया जाना चाहिए।
Payment and Settlement Systems in India किताब के मुताबिक निजी डिजिटल मुद्राओं (Private digital currencies)PDCs) / आभासी मुद्राओं (virtual currencies)VCs) / क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies )CCs) हाल के वर्षों में लोकप्रिय हुए हैं। भारत में नियामकों और सरकारों ने इन मुद्राओं के बारे में संदेह किया है और संबंधित जोखिमों के बारे में आशंका व्यक्त की है।