मनुष्य के मस्तिष्क में विचार कहाँ से आते हैं? आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक मतों का वर्णन करें।
एक नए रंग के बारे में सोचो। एक ऐसा इस रंग जिसे तुमने आजतक देखा ही नही। आँखे बंद कर लो। और अब नए रंग को सोचो जो आजतक तुमने कही नही देखा।
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क्या हुआ? नही सोच पाए।
चलो अब तुम लाल रंग को सोचो।
इस बार तुमने बड़ी महानता दिखाई और लाल रंग को एक ही पल में सोच लिया। पर तुम्हारी ये महानता उस समय खत्म हो जाती है जब तुम एक नए रंग को सोचने का प्रयास करते हो। क्योंकि तुम नया रंग सोच ही नही पाते हो। तुम वही सोच सकते हो जो आजतक तुमने इस दुनिया मे देखा हो। जो देखा ही नही अथवा सुना ही नही उसे कैसे सोचोगे?
लेकिन अब में एक रहस्य की बात बताता हूं। तुम इस प्रयोग से वो भी देख लोगे और सोच लोगे जो तुमने पहले कभी नही देखा और कभी नही सोचा।
अपने आसपास देखो। विज्ञान की कई सारी मशीन है जो किसी वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई है। जरा सोचो कि जब किसी ने फोन बनाया था तो उसके पास कहां से विचार आये होंगे? उसने अपने दिमाग मे कैसे इस फ़ोन को सोचा होगा जो उस समय था ही नहीं ?
वस्तुतः एक असाधारण विचार जो किसी खोज में तब्दील होता है या कोई नया bussiness खड़ा करने की हिम्मत रखता है वो विचार अंतरिक्ष से आता है। हर असाधारण विचार अंतरिक्ष से प्राप्त होता है।
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डॉ ले गेट्स ने अपनी 200 से ज्यादा खोजो को पेटेंट कराया है। और वे बताते है कि वे रात को शांत होकर बैठकर ब्राह्मंड मे अपने मस्तिष्क को खुला छोड़ देते थे। जिससे उनके पास विचार प्राप्त होते थे। एक बार तो इस प्रकार से विचार आना शुरू हुए थे कि वे बिना रुके उन विचारों को 8 घण्टे तक लिखते रहे। और जब वह कमरे के बाहर आते और विचारो को पढ़ते तो उन्हें अपनी अगली खोज के लिए तरीका मिल जाता था।
एक और उदाहरण लीजिये। निकोला टेस्ला एक महान और रहस्यमयी वैज्ञानिक रहे है। उनकी पुस्तक में उन्होंने बताया है कि उनको ब्राह्मंड मे एक अद्रश्य शक्ति से प्रेरणा और विचार मिलते थे जिससे उनकी समस्या कुछ ही समय मे हल हो जाती थी।
तस्वीर स्त्रोत- गूगल से।
मेने यहां सिर्फ दो उदाहरण दिए है। परन्तु आप किसी भी वैज्ञानिक/ महान उद्योगपति से पूछेंगे तो जानेंगे कि उन सबके पास एक असाधारण विचार था जिसने उनको महान बनाया और वो विचार इस दुनिया मे पहले किसी के पास नही था। इसलिए यदि आप कुछ असामान्य करना चाहते है तो आपको भी ब्राह्मंड से विचार प्राप्त करना होगा। क्योंकि जो करते आ रहे हो यदि वो ही करते रहोगे तो जो मिलता आ रहा है वही मिलता रहेगा।
अब इसका विज्ञान समझते है।
जब मनुष्य कोई विचार सोचता है तो वह विचार दिमाग से तरंगों के माध्यम से अंतरिक्ष मे चला जाता है इसीलिए विवेकानन्द जी ने भी कहा था कि विचार दूर तक यात्रा करते है।
वह अंतरिक्ष मे तब तक रहेगा जब तक कोई दूसरा दिमाग उस विचार को नही पकड़ लेता।
दरअसल हर एक विचार की एक फ्रीक्वेंसी होती है। और जब कोई दिमाग उस फ्रीक्वेंसी से सोचता है तो वो विचार अन्तरिक्ष से तुरन्त उस व्यक्ति के मस्तिष्क में आ जाता है और व्यक्ति उसको काम मे लेना शुरू कर देता है।
जब मैं मायाजाल को समझने की कोशिश कर रहा था तब मैं अकेला था और मुझे कई सारी चीज़ें समझ नही आती थी। उस समय मैने अपने मस्तिष्क में उन विचारों का आह्वान किया जो किसी महान व्यक्ति के हो और अंतरिक्ष मे हो नतीजा ये हुआ कि मैं अपने कार्य में बहुत गति करने लगा। मुझे वो लोग मिलने लगे जो मेरी ही तरह कार्य कर रहे थे। मेरी ही तरह सोचते थे।
जब मैं ब्राह्मंड के 12 सिद्धांतों के लिए पुस्तक लिख रहा था तब मुझे एक समस्या आयी। मुझे लिखना नही आता था। मेरी लेखन शैली बहुत खराब थी और उन 12 सिद्धांतो को मुझे पूरे सामंजस्य मे लिखना था। मेने 1 साल तक इस पर सोचा था लेकिन मुझे ऐसा कुछ नही मिला जिसके द्वारा मैं कम शब्दों में इसको लिखूं। एक दिन मेरे अवचेतन से विचार कौंधने शुरू हुए थे और मेरा कार्य हो गया था।
इसलिए ये सभी विचार जो सामान्य है वे सब आपको इसी दुनिया में जो आपने देखा है वहां से मिलते है। लेकिन एक महान विचार और असामान्य विचार अंतरिक्ष से मिलता है जिसके लिए आपका दिमाग खुला रहना आवश्यक है।
आप इसके लिए अवचेतन से भी सहायता मांग सकते है। आशा है आपको जवाब मिल गया होगा।
धन्यवाद।
तस्वीर स्त्रोत- गैलेरी से ली गयी।
स्त्रोत :- quora
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विचारों पर आपने भी मैंने भी औरों ने भी खूब विचार किया। यह सिद्धांत कि विचार ब्रम्हांड से आते हैं, में मेरा एक विरोध है। जब आप पूरा मस्तिष्क को खुला रिलेक्स छोड़ देते हैं तब आपके ही स्टोरेज से विचार पॉप अप करते हैं।