कैसे केंद्र सरकार भारत के दूसरे किसानों की कीमत पर पंजाब के किसानों को सिर चढ़ाती है!
केवल FinancialTimes नामक अंग्रेजी समाचारपत्र ने साहस कर २०१९-२० के जून-जुलाई माह के यह आंकड़े छापे हैं।
भारत में चावल और गेहूँ का कुल उत्पादन है २,२६० लाख टन, जिसमें भारत सरकार कुल ९१० लाख टन (४०%) की खरीद करती है। पंजाब कुल ३०० लाख टन का उत्पादन करता है, जिससे भारत सरकार २३६ लाख टन (७९%) खरीद करती है।
अर्थात जहाँ पंजाब कुल चावल और गेहूँ उत्पादन में १३% का भागीदार है तो वहीं केंद्र सरकार द्वारा उसकी खरीद में पंजाब का हिस्सा २६% का होता है। इसके अलावा जहाँ देश के दूसरे किसानों को बिजली बिल पर ०.५% की सब्सिडी मिलती है तो वहीं पंजाब के किसानों को १.१% की सब्सिडी मिलती है।
यदि पंजाब की तुलना दूसरे राज्यों से करें तो समझ आता है कि केंद्र सरकार राजस्थान की कुल गेहूँ उपज का १६%, उत्तर प्रदेश की गेहूँ उपज का १०% और पंजाब की गेहूँ उपज का ७०% खरीदती है।
इसी तरह, पूरे भारत में चावल उत्पादन का केवल ४४% सरकार खरीदती है जबकि पंजाब के चावल उत्पादन का ९२%।
खरीफ २०२० में धान के लिये किसानों को मिलने वाले दाम को भी देखें तो प्रति क्विंटल पंजाब के किसान को ₹ १,८८८, उत्तर प्रदेश के किसान को ₹१,६७९, छतीसगढ़ के किसान को ₹१,५१५ और तमिळनाडु के किसान को ₹१,५३० मिलते हैं।
https://www.financialexpress.com/opinion/this-is-about-politics-not-farmer-rights/2140159/
दिल्ली की राजकीय सीमा पर खड़े सभी प्रदर्शनकारी केवल दिखावे के लिये देश के सभी किसानों की बात करते हैं। सच यही है कि उन्हें पंजाब के बाहर के किसानों की कोई चिंता नहीं।
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