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कम रैम और बैटरी के बावजूद खर्च करनी पड़ती है मोटी रकम, फिर भी यूजर्स को नहीं मिलते ये 10 फीचर्स

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गैजेट डेस्क. यूं तो अमूमन हर भारतीय स्टेट्स सिंबल के लिए ही सही आईफोन खरीदने का शौक रखता है। लेकिन कुछ इसकी कीमत तो कुछ इसके फीचर्स की वजह से इसे खरीदने से कतराते हैं। एंड्रॉयड फोन में जो फीचर्स 10 हजार के फोन में मिल जाते हैं वहीं एपल इन फीचर्स के लिए मोटी रकम अपने ग्राहकों से वसूलता है। जानिए 10 ऐसे कारण जिनकी वजह से कुछ भारतीय को एपल मीठा नहीं लगता….

    1. एंड्रॉयड के लगभग हर फोन में कॉल रिकॉर्ड करने की सुविधा मिल जाती है। लेकिन एपल आज भी अपने फोन में कॉल रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं दे पाया।
    2. एपल सीमित मेमोरी के साथ ही आईफोन लॉन्च करता है, जैसे 32 जीबी, 64 जीबी स्टोरेज। ऐसे में वीडियो, म्यूजिक फाइल्स या किसी डॉक्यूमेंट फाइल्स या अन्य मीडिया फाइल्स सहेज कर रखने वाले यूजर चाह कर भी इसकी मेमोरी नहीं बढ़ पाते। ऐसे में यूजर्स एंड्रॉयड डिवाइस की तरफ डायवर्ट हो जाते हैं जिसमें एसडी कार्ड से मेमोरपी बढ़ाई जा सके।
    3. यदि एंड्रॉयड डिवाइस से कम्प्यूटर पर कोई फाइल शेयर करना हो तो सीधे डेटा केबल की मदद से किया जा सकता है लेकिन आईफोन के मामले में ऐसा नहीं है। आईफोन के कम्प्यूटर में डेटा शेयर करने के लिए थर्ड पार्टी ऐप आईट्यून की जरूरत पड़ती है। ऐसे में इमरजेंसी में किसी के पीसी पर डेटा शेयरिंग करना हो तो काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है।
    4. एंड्रॉयड अपने यूजर को ढेरों ऐप फ्री में मुहैया कराता है लेकिन एपल के मामले में ऐसा नहीं है। एपल पर कुछ ऐप तो फ्री है लेकिन कई जरूरी ऐप्स के लिए जेब ढीली करनी पड़ जाती है। यहां तक की एपल म्यूजिक से गाने डाउनलोड करने के लिए भी पैसे देने पड़ते हैं।
    5. एपल के आईफोन अपनी कीमत की वजह से हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। कुछ यूजर इसे स्टेट्स सिंबल के तौर पर खरीदना पसंद करते हैं। आईफोन लेने के बाद ज्यादातर लोगों की नजर बैक पैनल पर दिए उसके लोगो पर जाती है। एक लेटेस्ट आईफोन खरीदने के लिए एक लाख से डेढ लाख रुपए तक खर्च करने पड़ सकते हैं। इतनी कीमत में एक बेहतरीन एंड्रॉयड फोन और बढ़िया सा लैपटॉप खरीदा जा सकता है।
    6. आमतौर पर जहां चीनी कंपनियों के स्मार्टफोन के साथ 45 वॉट तक के चार्जर मिलने लगे हैं, वहीं आईफोन के बॉक्स में अभी लो-पावर का चार्जर ही देखने को मिलता है। आईफोन के लिए हाई पावर का चार्जर खरीदना काफी महंगा पड़ जाता है। वैसे भी एपल पूरी तरह से वायरलेस चार्जिंग पर निर्भर होती जा रही है।
    7. एंड्रॉयड के स्मार्टफोन में दो सिम की सुविधा आसानी से मिल जाती है। कुछ एंड्रॉयड फोन में एक सिम से तो कुछ में दोनों सिम से 4जी नेटवर्क का मजा लिया जा सकता है। लेकिन एपल में डुअल सिम का ऑप्शन नहीं मिलता। कुछ समय पहले दूसरी सिम का सुविधा दी भी लेकिन यह भी ई-सिम है जो पारंपरिक डुअल सिम जैसा नहीं है।
    8. चीनी कंपनी रेडमी जहां 100 मेगापिक्सल का फोन लाने की तैयारी में है, वहीं एपल के टॉप मॉडल्स अभी तक 10 से 12 मेगापिक्सल के कैमरा सेंसर तक ही सीमित है। हालांकि एपल के कैमरा क्वालिटी की अन्य कंपनियों के मुकाबाले हमेशा से ही बेहतर रही है।
    9. भारतीय अपने फ्री समय में काम करते करते गाने सुनने के शौकीन है। भारतीयों के इस संगीत प्रेम को देखते हुए एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों ने फोन में वायर्ड और वायरलेस एफएम की सुविधा दी लेकिन एपल में एफएम का फीचर कभी नहीं आया। जिसे भारतीय यूजर्स आईफोन में काफी मिस करते हैं। वहीं एपल म्यूजिक से गाने सुनना काफी महंगा पड़ता है।
    10. एपल ने आईफोन में 3.5 एमएम हेडफोन जैक देने बंद कर दिया साथ ही बॉक्स में वायरलेस एयरपॉडदेना भी बंद कर दिया। एयरपॉड को अलग से खरीदने में लगभग 10 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में ज्यादातर यूजर्सचाहते हैं कि एयरपॉडफोन के बॉक्स में ही मिल जाएं।
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