डीएनए की खोज Johann Friedrich Miescher (जोहान फ्रेडरिक मीशर) ने सन 1869 में की थी। इन्होने डीएनए को न्यूक्लीन (Nuclein) का नाम दिया था।
सामान्यतः लोग समझते हैं की डीएनए की खोज वाटसन और क्रिक ने की थी। वास्तव में डीएनए की आणविक संरचना का मॉडल देने वाले Watson और Crick थे और इसके वास्तविक खोजकर्ता Johann Friedrich Miescher.
Watson और Crick को इनके काम के लिए 1962 में रासायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया।
DNA के नामकरण का श्रेय अल्बर्ट कोसेल (Albert Kossel) को जाता है। सन 1881 में Friedrich द्वारा खोजे गए nuclein अणु की रासायनिक संरचना का अध्ययन करने के बाद Albert Kossel ने पाया की nuclein वास्तव में Nucleic acid के समरूप था, और Kossel ने इसका नाम डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic acid) DNA रखा। तब से ले कर आज तक हम DNA को इसी रूम में जानते और पढ़ते हैं।
डीएनए को इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप द्वारा देखने पर यह एक सीढ़ीनुमा वस्तु जैसा दीखता है, जो कि स्प्रिंग की तरह घुमावदार होता है। DNA में दो स्ट्रैंड्स होते हैं। इन्हें आप डीएनए की दो भुजाएं कह सकते हैं। ये दोनों भुजाएं आपस में एक विशेष आकार में संगठित होती हैं- जिसे डीएनए डबल हीलिक्स ( DNA Double Helix) कहा जाता है।
डीएनए की संरचना में फॉस्फेट, डिऑक्सी-राइबोज़ शुगर, और नाइट्रोजन बेस-पेअर होते हैं।
दोनों शुगर स्टैंड्स या स्ट्रैंड्स आपस में नाइट्रोजन बेस-पेअर द्वारा जुड़े होते हैं, और ये बेस-पेअर आपस में हाइड्रोजन बॉन्ड्स द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
इन्हीं बेस पेयर्स के क्रम में जेनेटिक गुण कोडेड होते हैं और इसीलिए इन्हें genetic-code कहा जाता है।
इन जेनेटिक कोड का काम अनुवांशिक गुणों को अगली पीढ़ी में स्थानांतरित करना होता है।
इसके अतिरिक्त DNA का कार्य शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन्स का निर्माण करना भी होता है।
डीएनए की जटिल संरचना के फलस्वरूप इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों में होता है।
पेड़-पौधों, कृषि, फल-रोपण, बागवानी, पशुपालन आदि में जहाँ जेनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता मिलती है, वहीँ मानवों में भी जन्म-पूर्व बीमारियों का पता लगाना, वास्तविक माता-पिता और बच्चों की पहचान करना और आपराधिक अन्वेषण में डीएनए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Paternity, Maternity, Immigration, Organ transplant के लिए डीएनए टेस्ट, पूर्वजों की जानकारी के लिए GPS Origins DNA टेस्ट आदि इसके कुछ प्रमुख उपयोगों में शामिल हैं।
इन टेस्ट्स की अधिक जानकारी के लिए आप नयी दिल्ली स्थित डीएनए फ़ॉरेन्सिक्स लेबोरेटरी से संपर्क करें
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