भारत भविष्य में कभी कंगाल नहीं होगा ।इसके पीछे कारण है।।जहां अधिकांश विदेशों में लोग ज्यादा संग्रह नहीं करते,,जो कमाया वह खर्च कर देते हैं।।
यूरोपीय देशों की तो ये खासियत ही है।।अमरीका इग्लैण्ड जैसे देशों में ये बात सोचते ही नहीं कि संग्रह करें.।क्योंकि वहां बच्चे अपने माता पिता पर एक निश्चित उम्र तक आश्रित रहते हैं उसके बाद उनकी व्यक्तिगत जिंदगी हो जाती है।जिसमें मां पिता का हस्तक्षेप नहीं रहता। इसलिये किसके लिये संग्रह करें।
अब भारत की बात करें यहां तो मां बाप अपनी संतान नहीं सात पिढ़ियों तक धन की व्यवस्था करके जाते हैं।।
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भारत में चाहे कोई कितना कमजोर परिवार हो पर उसके पास भी एक महीने के खर्च और खाने की व्यवस्था रहती है।।
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कृषि प्रधान होने के कारण कृषक अपने अलावा अपने घर में काम करने वालों के खाने और खर्च का इंतजाम रखता है।।वह भी एक दिन का नहीं लगभग पूरे दो वर्ष का ।।जब तक दूसरी फसल सही सलामत नहीं आ जाती तब तक पुरानी उपज नहीं निकाली जाती।।इतना सब होने के बाद अगर फिर भी कुछ आपदा आयेगी तो पैसे सोना चांदी का संग्रह काम आता है।।
ये बात तो सभी को मालूम है कि भारतीय काफी सोना और चांदी जेवर के रुप में खरीदते हैं।।
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ये सब ऐसे ही वक्त के लिये जब खेती में या धंधे में काफी घाटा हो जावे तो उसे बेचकर अपना धंधा या खेती फिर से खड़ी कर सकें।।ऐसी व्यवस्था और दूसरे देशों में इतने बड़े पैमाने पर देखने नहीं को नहीं मिलती है।।
हमारे यहां की अर्थ व्यवस्था बहुत मजबूत अर्थव्यवस्था है।।ये मंदी और गिरावट का चक्कर तो सरकारी आंकड़ों का खेल है।।इससे भारतीय जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।। मोटर वाहन या इंफ्रास्ट्रक्चर में मंदी तो व्यापारियों के लिये है।।पर उनका माल किसान के आलू टमाटर जैसा सड़ तो नहीं रहा है।सुरक्षित है।।कल बिक जायेगा।। भारतीय अर्थ व्यवस्था कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है,अगर वह टूट जायेगी तब भी कृषक अपना काम थोड़े में चलाकर सब कुछ पटरी पर ले आयेगा।।।
इसलिये निश्चिंत रहिये,,भारत भविष्य में क्या कभी भी कंगाल नहीं होगा।।