आजादी के बाद देश में अक्सर ये माना जाता था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन विमान हादसे में नहीं हुआ है. वो जल्द अज्ञातवास से वापस स्वदेश लौटेंगे और तब देश में आमूलचूल बदलाव आएगा. ये तो चर्चाओं की बात थी लेकिन नेताजी आजादी की लड़ाई के दौरान आजाद हिंद फौज के सहयोगियों से एक खास इच्छा जाहिर करते थे, जिसके लिए वो आजादी के बाद हिमालय जाना चाहते थे.जब 1 टेस्ट मैच पर मिलता था 1 रुपया
जब 1 टेस्ट मैच पर मिलता था 1 रुपयाउनके एक खास सहयोगी एसए अय्यर ने इस बारे में कई बार लिखा भी. इसमें ये बताया गया है कि सुभाष उनसे अक्सर आजादी के बाद एक खास काम करने की इच्छा जाहिर करते थे. वो कहते थे कि खून से सनी दिल्ली जाने वाली सड़क पर वो अपनी क्रांतिकारी सेना का संचालन करेंगे लेकिन जैसे ही उन्हें अपने इस उद्देश्य में सफलता मिल जाएगी, तब वो अपने जीवन के असली ध्येय की ओर मुड जाएंगे.हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
सुभाष बोस पर लिखी पत्रकार संजय श्रीवास्तव की किताब “सुभाष की अज्ञात यात्रा” में इस बारे में चर्चा की गई है. ये भी बताया गया है कि सुभाष क्यों अक्सर ये बात कहते थे. सुभाष कहते थे,” देश को आजादी मिलते ही वो हिमालय चले जाएंगे, जहां वो ध्यान-भजन करेंगे. यही उनके जीवन का असली ध्येय है.”MS Dhoni के दिल में आखिर क्या है..किस मजबूरी में नहीं ले रहे हैं रिटायरमेंट!
दरअसल आध्यात्म सुभाष के जीवन का एक अनिवार्य और गहन तत्व था, जिसने उनके अंदर किशोरवय से ही पैठ जमा ली थी. जब वो किशोर हो रहे थे, तब उनका रुझान आध्यात्म की ओर होने लगा. तब वो बाबा और साधुओं की तलाश में लग गए. इससे उनके व्यक्तित्व में अजीब सा बदलाव आने लगा. उनके घरवालों ने भी इसे महसूस किया.आपके ‘Thank You’ से हो रहा धरती का विनाश! विश्वास न हो तो ये आंकड़े देखिए
क्यों एकांत जगह की तलाश करते थे
साधु और महात्माओं की संगत को तलाशने के चलते वो घर से कई कई घंटों के लिए बाहर रहते. आसपास के उन स्थानों में चले जाते, जहां प्रकृति की छटा होती और एकांत होता. ऐसी जगहों पर वो ध्यान साधना करने लगते. घर में रहने पर वो कोई अंधेरा कमरा तलाशते और वहां बैठकर खुद को ध्यान में डूबोने की कोशिश करते.कर्ज या लोन लेने से पहले याद रखें ये जरूरी 9 बातें
किताब कहती है,” बाद में जब वो जर्मनी और जापान में लंबे समय के लिए रहे तब भी हर हाल में रोज रात में ध्यान साधना जरूर करते थे. वो रोज रात भगवद्गीता पढ़ते थे, इससे उन्हें शांति और शक्ति मिलती थी. हालांकि उनका ज्यादा समय लोगों के बीच बीतता था लेकिन रात में ज्यों एकांत मिलता, वो ध्यान साधना में लीन हो जाते.”WhatsApp में ऐसे छिपाएं कोई भी मेसेज, नहीं देख पाएगा कोई
सुभाष चंद्र बोस की पत्नी को अपना घर चलाने और बेटी अनीता को पालने के लिए वहां के डाकघर में नौकरी करनी पड़ी। अनीता के अनुसार, शेंकल ने सुभाष चन्द्र बोस के साथ अपने रिश्तों को कभी सार्वजनिक नहीं किया। वह अपने पति का नाम गुप्त रखकर ही इस दुनिया से चली गई।
रात का समय उनके आध्यात्मक का समय होता था
जनता के बीच वो मंच पर लंबा भाषण देते थे लेकिन मंच से अलग होते ही एकांत चाहते थे. तब वो कम ही लोगों से बातचीत करते थे. भोजन के बाद वो आमतौर पर विश्राम करते लेकिन अगर उनके पास कोई बुलाया हुआ व्यक्ति आ जाता था तो पूरे घंटे में शायद कुछ ही शब्द बोलते थे. वो उस समय शांति ज्यादा चाहते थे. वो उनका आध्यात्मिक समय होता था.अपने चेहरे को कम उम्र का कैसे बनाये रखें? How to keep your face young?
घंटों ध्यान साधना करते थे
रात में उनका ध्यान लंबा होता था. वो देर रात दो-तीन बजे तक सोते थे लेकिन सबेरे उठने पर चेहरे ताजगी और आभा से भरपूर होता था. सिंगापुर में रहने के दौरान सोने के पहले रामकृष्ण परमहंस आश्रम चले जाते थे. वहां जाकर ध्यान करते थे. उनके रोज के काम और आध्यात्मिक साधना साथ-साथ चलती रहती थी. बर्लिन में जब दूसरे विश्व युद्ध के दिनों में बमबारी की आबाज आती थी, तब वो अपने घर में देर रात तक ध्यान करते रहते थे.डिजिटल मार्केटिंग क्या है? जाने और सीखे
मानते थे तंत्र साधना की ताकत
उनकी जीवन की आदतें आमतौर पर सादगी लिये हुए थीं. वो खुद उसी राशन का भोजन करते थे, जो उनके सैनिक करते थे. वो मां काली के भक्त थे. ये भी कहा जाता है कि वो तंत्र साधना की शक्ति मानते थे. जब वो गांधीजी के विरोध के बाद 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए तो कुछ समय बाद रहस्यमय तरीके से बीमार हो गए. तब उनका मानना था कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने उनके खिलाफ तंत्र साधना की थी.क्या मानव को चाँद पर जाने से कोई लाभ हुआ है या फिर यह केवल एक पब्लिसिटी स्टंट था?
थोड़ी देर बाद एक व्यक्ति हिटलर की तरह वेश भूषा में उनके सामने आया और हाथ बढ़ाते हुए कहा मैं हिटलर हूं। बोस ने भी हाथ बढ़ाया और कहा मैं सुभाष भारत से… मगर आप हिटलर नहीं हैं। इसके बाद वह व्यक्ति चला गया।
इसके बाद एक दूसरा व्यक्ति आया। यह व्यक्ति बहुत ही कठोर स्वभाव का था। उसने भी नेताजी के सामने हाथ बढाया और कहा मैं हिटलर। नेताजी ने फिर हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा मैं सुभाष भारत से…मगर आप हिटलर नहीं हो सकते।
मैं यहां केवल हिटलर से मिलने आया हूं। तीसरी बार फिर एक व्यक्ति ठीक उसी तरह की वेशभूषा में आया और नेताजी के सामने आकर खड़ा हो गया। कुछ देर तक चुप रहने के बाद सुभाष चंद्र बोस ने कहा मैं सुभाष हूं।
भारत से आया हूं, लेकिन आप हाथ मिलाने से पहले कृपया दस्ताने उतार दें, क्योंकि मैं मित्रता के बीच में किसी भी तरह का दीवार नहीं चाहता।
1933 में जब वो एसएस गंगे जहाजे से यूरोप जा रहे थे तो अपने दोस्त दिलीप कुमार रॉय को लिखा, मैं शिव के प्रति ज्यादा भक्तिभाव में रहता हूं. कुछ सालों से मंत्रों की शक्ति को मानने लगा हूं. वाकई मंत्रों में बहुत ताकत होती है. पहले मैं मंत्रों को लेकर सामान्य भाव रखता था. बाद में मैने तंत्र फिलास्फी पढ़ी. कुछ मंत्र तो शक्ति देने के मामले में वाकई अदभुत होते हैं.काजोल ने अपना त्वचा का रंग कैसे बदला, क्या ये सबके लिए मुमकिन है?
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था. अपने सार्वजनिक जीवन में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा दी गई थी.
दिल्ली में लालकिले पर सुभाष चंद्र बोस संग्रहालय का उद्घाटन किया. इस संग्रहालय में सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़ीं चीजों को प्रदर्शित किया जाएगा.विंडोज 10 और इंटेल पावर्ड है आसुस वीवोस्टिक पीसी, छोटा इतना कि पॉकेट में आ जाए
अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध के लिए उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया और युवाओं को ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा भी दियाWHO: पिछले दशक के मुकाबले महिलाएं ज्यादा स्मोकिंग करने लगी है!
934 में सुभाष चन्द्र बोस ऑस्ट्रिया में अपना इलाज करा रहे थे। उस समय उन्होंने सोचा कि अपनी जीवनी लिखी जाए। इसके लिए उन्हें टाइपिस्ट की जरूरत थी। उनके ऑस्ट्रिया के एक फ्रेंड ने एमिली शेंकल को अप्वाइंट करा दिया।
सुभाष एमिली को अपनी जीवनी डिक्टेट कराते थे। इसी दौरान दोनों में प्यार हो गया। 1937 में दोनों ने शादी कर ली। 29 नवंबर 1942 को विएना में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया। सुभाष ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा।Govt Clears Doubts and Fears Around CAA and NRC सरकार के तरफ से CAA और NRC पर लिखित रूप से कुछ क्लेरिफिकेशन दिए गए है
कांग्रेस के 51 वें अधिवेशन में बोस और गांधी
बर्लिन में भाषण देते सुभाष चंद्र बोस
जापान के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री हिदेकी तोजो के साथ सुभाष चंद्र बोस 1944 में