दुनियाभर में रोज विकसित हो रही नई-नई तकनीक से लोगों की दिनचर्या बदलती ही जा रही है. इधर, कम्यूनिकेशन क्षेत्र में तकनीक ने आसमान को भी पार कर दिया है. कहा जा रहा है कि लोगों के लिए 4जी नेटवर्क कुछ ही महीनों और सालों का मेहमान रह गया है, क्योंकि कई बड़ी कंपनियां 5जी नेटवर्क की तैयारी में पानी की तरह पैसा बहाने में लगी हुई हैं.
वहीं, 5जी नेटवर्क पर कई जानकारों का मानना है कि इस तकनीकी से मानव जीवन खुद को खतरे की ओर धकेल रहा है. आइए जानते हैं आखिर क्या है 5जी नेटवर्क और इसकी रेडियशन का स्वास्थ्य पर ;- कितना असर पड़ेगा.
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क्या है 5G नेटवर्क
मोबाइल और कंप्यूटर में 4 जी नेटवर्क का लुत्फ उठाने वाले यूजर्स अब 5जी नेटवर्क का इंतजार बेसब्री से कर रहे हैं. आइए जानते हैं आखिर क्या है 5जी नेटवर्क? मोटे तौर पर कहें तो 5जी नेटवर्क की सुविधा के बाद आपका मोबाइल की इंटरनेट स्पीड 100 गुना हो जाएगी. इसी के साथ 5जी नेटवर्क को लेकर तर्क दिए जा रहे हैं कि इसके आने से मशीन-मशीन से और आपसे बात करने में सक्षम हो सकेगी. इसके लिए आपके पास मौजूद डिवाइस 5जी नेटवर्क को सपोर्ट करने वाली होनी चाहिए.
माना जा रहा है कि 5जी तकनीक के आने से मानव जीवन में कई बड़े बदलाव आ सकते हैं. 5जी तकनीक को लेकर वैज्ञानिकों ने तर्क रखे हैं कि यह आपके लिए मंगल गृह पर जाने जैसा होगा.
वैज्ञानिकों का कहना है कि सोचिए आप उस वक्त कैसा महसूस करेंगे जब आप अपनी ही कार से बात कर रहे होंगे और सड़क पर लगी रेड लाइट से सेंसर के जरिए तालमेल बैठा सकेंगे.
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5जी नेटवर्क का सेहत पर असर
बता दें कि देश में 5G नेटवर्क का चलन होते ही मोबाइल टावरों की संख्या में बढ़ोतरी होगी जिससे आरएफ सिग्नल (RF Signal) भी भारी मात्रा में निकलेगा. ऐसे में टावरों से निकलने वाली इन विकिरणों (Radiation) से स्वास्थ्य पर बड़ा प्रभाव पड़ने की आशंका पैदा हो जाएगी. जानकारों के मुताबिक, RF सिग्नल से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है.
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इधर, विशेषज्ञों का कहना है कि देश अगर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा बनाए गए सुरक्षा उपायों का पालन उचित रूप से करेगा तो 5जी नेटवर्क से निकलने वाली विकिरणों से लोगों के स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी 5जी तकनीक से इंसानों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को खारिज कर चुका है. डब्ल्यूएचओ का मानना है कि रेडियो फ्रिक्वेंसी से लोगों के सिर्फ शारीरिक तापमान में वृद्धि के अलावा कोई और नुकसान नहीं होगा.
कुछ जानकारों का कहना है कि व्यक्ति के शरीर के लिए आयोनाइज़िंग नेचर वाली फ्रिक्वेंसी नुकसानदेह होती है. जबकि मोबाइल से नॉन आयोनाइज़िंग नेचर वाली फ्रिक्वेंसी का प्रवाह होता है. उनका मानना है कि 5G रेडिएशन से अभी तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का डेटा सामने नहीं आया है.
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कुछ जानकारों का कहना है कि व्यक्ति के शरीर के लिए आयोनाइज़िंग नेचर वाली फ्रिक्वेंसी नुकसानदेह होती है. जबकि मोबाइल से नॉन आयोनाइज़िंग नेचर वाली फ्रिक्वेंसी का प्रवाह होता है. उनका मानना है कि 5G रेडिएशन से अभी तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का डेटा सामने नहीं आया है.
5जी से आतंक को मिलेगा बढ़ावा
इधर, दुनियाभर की सरकारें अभी हैकिंग जैसी बड़ी समस्या से जूझ रही हैं, लेकिन 5जी नेटवर्क से रिमोट सेंसिंग जैसी तकनीक में इजाफा होगा. जिससे बड़े देशों के साइबर एक्सपर्ट छोटे देशों के सिस्टम में आसानी से घुसपैठ कर सकेंगे. इसी के साथ आतंकी गतिविधियों का खतरा बढ़ने से देश की सुरक्षा में सेंध लग जाएगी. इसलिए अमेरिका, चीन, जापान और उत्तर कोरिया समेत कई देश 5जी नेटवर्क को लेकर पूरी तरह सतर्क हैं.
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