electric car facts pros and cons

इलेक्ट्रिक कारों के बारे में अभी भी बहुत कुछ गलत सोचते हैं लोग, जो बिल्कुल सही नहीं

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इस हफ्ते खत्म हुए ‘ऑटो एक्सपो 2020’ में एक से बढ़कर एक इलेक्ट्रिक कारें दिखाई गईं। यह आगाज है और भारत में दस लाख रुपए से भी कम कीमत पर इलेक्ट्रिक कारों को उपलब्ध करवाने की कोशिश कंपनियां कर रही हैं। कार मेकर्स तो पुरजोर तैयारी कर रहे हैं, लेकिन भारतीय ड्राइवर्स के मन में जो मान्यताएं हैं, वो गलत हैं।

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1. चार्ज करना मुश्किल होता है
कंपनियां इनके चार्जर का इंतजाम करने में जुटी हुई हैं। जैसे-जैसे ये कारें बिकेंगी, वैसे-वैसे चार्जिंग स्टेशन बढ़ेंगे। कुछ ही साल में पेट्रोल पंप जैसी स्थिति से भी इनकार नहीं किया जा सकता। घर पर भी चार्जिंग स्टेशन आसानी से तैयार किया जा सकता है।

2. ज्यादा तेज नहीं हैं
इन कारों को शून्य से 100 की रफ्तार तक पहुंचने में अभी थोड़ा वक्त जरूर लग रहा है लेकिन बता दें कि दुनिया की सबसे तेज कार, एक इलेक्ट्रिक कार ही है जिसका नाम ‘पिनिनफरीना बतीस्ता’ है। यह दो सेकंड से भी कम वक्त में 100 किलोमीटर की रफ्तार छू लेती है। टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है और ये इलेक्ट्रिक कारों की रफ्तार को भी बढ़ा रही है।

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3. एक चार्ज पर कम चलती हैं
औसतन ये कारें एक चार्ज पर 250 से 400 किलोमीटर तक का सफर आसानी से तय कर रही हैं। अचानक तय हुई यात्राओं और शॉर्ट-रेंज चार्जिंग की समस्या ज्यादा दिन की नहीं है क्योंकि मेकर्स इस रेंज को बढ़ाने में जुटे हैं। टेस्ला के कुछ मॉडल्स तो 500 किलोमीटर तक सफर कर रहे हैं।

4. काफी महंगी हैं
इलेक्ट्रिक कारों की कीमत तेजी से कम हो रही हैं। भारत में तो इन्हें काफी कम कीमत पर मुहैया करवाने की कोशिश ऑटो एक्सो में ही नजर आई। दुनियाभर में ज्यादातर इलेक्ट्रिक कारें 22 लाख रुपए से कम कीमत की हैं। कुछ समय बाद ही दावा किया जा सकेगा कि भारत में दुनिया की सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कारों की विशाल रेंज है।

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5. ज्यादा वक्त की मेहमान नहीं
इन कारों से कार्बन उत्सर्जन बेहद कम हो जाएगा। हर तरह से इन्हें ‘पर्यावरण का ख्याल रखने वाली’ बनाने की कोशिश कंपनियां कर रही हैं। अब तो ‘फिस्कर ओशन’ जैसी कार भी आ चुकी है जो समुद्र से हासिल हुए रिसाइकल्ड प्लास्टिक से बनी है और इसमें फुल लेंथ सोलर छत भी है। बैट्री लाइफ को बढ़ाने में भी कंपनियां काफी आगे निकल गई हैं।

यह भी जानें
> द इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का अनुमान है कि 2030 तक दुनियाभर में करीब 12.5 करोड़ इलेक्ट्रिक कारें सड़क पर होंगी।
> पोर्श, लेक्सस, बीएमडब्लू जैसे मेकर्स इन्हें खूबसूरत बनाने में सबसे आगे हैं।
> फोर्ड और जीएम से उम्मीद की जा रही है कि वो ट्रक्स को भी इलेक्ट्रिक करेंगे।

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