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दुनिया में कई तरह के जहर हैं. इनमें से कुछ की पहचान आसान है और कुछ मूक हत्यारे हैं. इनकी थोड़ी सी मात्रा यदि शरीर में चली जाए, तो मौत होने में एक सेकेण्ड नहीं लगता और कोई बता नहीं सकता कि आखिर मौत हुई तो कैसे?
आज हम इन्ही मूक हत्यारे जहर और उनकी तासीर पर बात करने वाले हैं.
एकोनाइट
यह जहर वोल्फगैंग पेड़ पर पाया जाता है. आम भाषा में इस पेड़ को शैतान के हेल्मेट या जहर रानी के तौर पर जाना जाता है. इसकी बहुत कम मात्रा दवा के रूप में इस्तेमाल होती है. यदि इसके स्तर में जरा सी वृद्धि हो जाए, तो यह मौत का कारण बन सकता है. इस जहर का शरीर में होने का कोई सबूत नहीं होता.
खास बात यह है कि पेड़ से जहर निकालना बहुत आसान है.
इस जहर के प्रभाव से पहले दस्त शुरू होते हैं और फिर उल्टियां आती हैं. दिल जोर जोर से धड़कने लगता है और आॅक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है. इसके बाद सांस लेने में परेशानी होती है. शरीर के सभी अंग काम करना बदं कर देते हैं और फिर श्वसन तंत्र को लकवा मार जाता है, जिससे कुछ ही सेकेंड में व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है.
पोस्टमार्टम में मृत्यु का कारण आॅक्सीजन की कमी आती है और जहर की मौजूदगी का पता तक नहीं चलता.
बहुत कम मात्रा में जहर का उपयोग हो तो व्यक्ति 2 से 6 घंटे में मर जाता है. वहीं यदि ज्यादा उपयोग हो तो तत्काल इसका प्रभाव होता है पर उस स्थिति में शव पर जहर होने के निशां रह जाते हैं.
एकोनाइट से जुड़ा एक दिलचस्प इतिहास भी है. ऐसा कहा जाता है कि सम्राट क्लॉडियस की हत्या एक प्लेट मशरूम में एकोनेनेट मिलाकर देने से हुई थी. इस घटना में उनकी पत्नी एग्रीपिना भी मारी गई थी.
एक ब्रिटिश महिला ने भी अपने पूर्व प्रेमी को यह जहर देने की कोशिश की थी, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया था.
आर्सेनिक
यह एक धातु पदार्थ है, जिसका उपयोग यदि खाने में किया जाए तो बहुत कम मात्रा से ही कुछ ही घंटों में मौत हो सकती है. आर्सेनिक को जहर का राजा भी कहा जाता है. 1950 तक आर्सेनिक का प्रयोग दीवारों के वॉलपेपर बनाने, रंग रोगन, दवाएं बनाने, धातु निर्माण और कृषि सामाग्री बनाने में होता था.
आर्सेनिक ब्यूटी प्रोडेक्ट के रूप में भी उपयोग किया जाता रहा है. यदि ब्यूटी प्रोडेक्ट के तौर पर इसके दो तीन बूंदे चेहरे पर लगाई जाएं, तो कुछ ही देकर में गोरापन दिखाई देने लगता है. यूं तो आर्सेनिक का कोई नुकसान दिखाई नहीं देता, लेकिन इसकी विषाक्तता कैंसर, पीलिया, चेचक और त्वचा रोग पैदा करने के लिए काफी है.
आर्सेनिक विषाक्तता के लक्षण उल्टी, पेट में दर्द और आंतरिक रक्तस्त्राव है. इसके ज्यादा इस्तेमाल से कुछ ही घंटों में मौत हो जाती है. चूंकि, इसका शरीर पर कोई और लक्षण दिखाई नहीं देता, इसलिए गुजरे जमाने में यह हत्या करने का सबसे आसान हथियार बन गया था. चूंकि यदि एक बार व्यक्ति मर जाए तो यह पता नहीं किया जा सकता कि आखिर उसकी मौत हुई कैसे?
1836 में मंगल परीक्षण के दौरान आर्सेनिक की खोज की गई थी और इसका प्रयोग विज्ञान में किया जा रहा था. बाद में यह हत्या करने का जरिया बन गया. नेपोलियन बोनापार्ट, इंग्लैंड के तीसरे जॉर्ज और साइमन बोलिवार जैसी महान हस्तियों की मौत का जिम्मेदार आर्सेनिक को ही बताया जाताहै.
सैन डिएगो की एक महिला ने अपने पति की संपत्ति लूटने के लिए उसकी हत्या का प्लान बनाया और उसे आर्सेनिक के रूप में धीमा जहर देना शुरू किया. पति की मौत के एक साल बाद अन्य सबूतों के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया. हालांकि, पोस्टमार्टम में जहर की पुष्टि नहीं हुई थी, लेकिन महिला ने अपना अपराध कबूल किया और खुद आर्सेनिक की कहानी बताई.
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राइसिन
यदि आपने लोकप्रिय टीवी श्रृंखला ‘ब्रेकिंग बैड’ देखी है, तो आप समझ सकते हैं कि यहां हम किस जहर की बात कर रहे हैं! इस श्रृंखला के एक एपिसोड में, मुख्य चरित्र वाल्टर व्हाइट ने अपनी हत्या से संबंधित नाटक को बनाने के लिए जिस राजायनिक जहर का उपयोग किया था, वह राइसिन ही था.
यह कास्टेल ऑयल बीन में पाया जाता है, जिसके कुछ दाने ही किसी की मौत का कारण बन सकते हैं. राइसिन भी एक साइटोटोक्सिक (आण्विक स्तर पर आक्रामक) की तरह है विषाक्त है.
यह शरीर के प्रोटीन चक्र पर हमला करता है, जिससे सभी अंग अपंग होने लगते हैं. इसका पूरा असर होने में 7 से 10 दिन लगते हैं यदि जहर की मात्रा ज्यादा है, तो केवल 24 घंटे में ही लक्षण दिखने लगते हैं. इस जहर की पहचान करना तो मुश्किल है ही साथ ही इसकी रोकथाम भी असंभव है.
राइसिन के प्रभाव से पसीना आता है, फिर सांस लेने में तकलीफ होती है. कुछ देर में फेफड़ों में द्रव का संचय बंद होने लगता है और बुखार आ जाता है. यह क्रिया धीरे-धीरे तेज होती है और फिर व्यक्ति मर जाता है.
1978 में इसका इस्तेमाल लंदन के बल्गेरियाई नागरिक जॉर्जी मार्कोव को मारने के लिए किया गया था, जिसने जहर की छोटी बोतल पी ली थी और उसकी मौत में 7 दिन का समय लगा.
बोटुलिनम टॉक्सिन
यदि आप शेरलॉक होम्स श्रृंखला के प्रशंसक हैं, तो इस जहर के बारे में जरूर जानते होंगे. यह शरीर में पहले लकवे के रूप में असर दिखाना शुरू करता है और धीरे-धीरे पीडित की मौत हो जाती है.
बोटुलिनम टॉक्सिन को लोगों के खाने या पानी में मिलाकर दिया जा चुका है. इसके एक चम्मच जहर में इतनी ज्यादा ताकत है कि यह लाखों लोग एक बार में काल के मुंह में समा जाएं. क्वींस काउंसिल में एक अभियोजक के वकील निगेल स्वाइन के मुताबिक दुनिया में सबसे घातक पोटेड मांस एक तरह का बोटुलिन टॉक्सिन जहर ही है.
हालांकि, इसे निकालना और जहर का रूप देना काफी मुश्किल प्रक्रिया है. इसके असर से माइग्रेन, शरीर में दर्द, चेहरे में ऐंठन और दस्त की समस्या होती है.
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बैट्रैकटोक्सिन
बैट्रैकटोक्सिन एक प्रकार का न्यूरोटॉक्सिन है, जो ‘गोल्डन डार्ट मेंढक’ की त्वचा में पाया जाता है. इस जहर का उपयोग अमेज़ॅनियन इंडियंस द्वारा शिकार के लिए किया जाता है. वे खूबसूरत तीरों के कोनों पर इस जहर को लगाकर शिकार पर वार करते हैं. एक मेंढक से निकला जहर एक व्यक्ति को मारने के लिए काफी है.
नमक के दो दाने के बराबर भी यदिजहर का प्रयोग कर दिया जाए, तो शरीर को लकवा मार जाता है.
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बेलाडोना
इतालवी शब्द ‘बेलाडोना’ का अर्थ है ‘खूबसूरत महिला’.
किन्तु, बेलाडोना असल में खूबसूरत जहर है. दिलचस्प बात यह है कि बेलाडोना का पौधा फूलों से भरा होता है और इसलिए पुरातन काल में महिलाओं को यह सबसे ज्यादा पसंद था. अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में इसे दर्दनाशक, मांसपेशी विश्राम और सौंदर्य प्रसाधनों के रूप में उपयोग किया जाता था.
यदि गाल में दाने निकल रहे हैं या लाल धब्बे बन रहे हैं, तो बेलाडोना की कुछ बूंदे लगाकर इन्हें ठीक किया जा सकता है. यदि आंखों में इसका प्रयोग हो, तो देखने की क्षमता बेहतर होती है. पर यदि कोई व्यक्ति बेलाडोना की पत्तियों का उपभोग करता है तो वह जान से हाथ धो बैठेगा. इसकी पत्तियां विषाक्त होती है.
यह जामुन के पेड़ की तरह दिखाई देता है और इसका एक फल या पत्ती मारने के लिए काफी है.
साइनाइड
जहर की दुनिया में सबसे लोकप्रिय यदि कुछ है, तो वह है साइनाइड. साइनाइड का नाम अक्सर फिल्मों में सुनने मिलता है. लेकिन असल जीवन में लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं.
साइनाइड एक प्रकार का रासायन है, जो फल और पेड़ों पर पाया जाता है. यह खास तौर पर फलों के बीजों में होता है. 1.5 मिलीग्राम साइनाइड प्रति किलो वजन के हिसाब से मौत का कारण बन सकता है.
इसके प्रयोग से पीडित व्यक्ति को सिरदर्द, मतली, कमजोरी, नींद सोना, मांसपेशियों की ऐंठन और बेहोशी महसूस होती है. कुछ ही देर में शरीर को लकवा लग जाता है और दिल का दौरा आने से मौत हो जाती है. यदि आपने हिन्दी फिल्म मॉम देखी है, तो उसमें श्रीदेवी को साइनाइड जहर बनाते दिखाया गया है.
यह द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन सैनिकों का प्रमुख हथियार हुआ करता था.
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फिफटीन हेम्लेस
यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में एक पत्तेदार पौधे के रूप में यह जहर पाया जाता है, जिसका उपयोग 400 ईसा पूर्व सबसे ज्यादा किया जाता था. प्राचीन ग्रीस में यह काफी आम था. उस समय कैदियों को इसी जहर के जरिए मौत दी जाती थी.
यह जहर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को तोड़ देता है और हृदय, मस्तिष्क समेत शरीर के विभिन्न अंगों तक आॅक्सीजन को जाने से रोक देता है. नतीजतन शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है और कुछ देर में मौत हो जाती है.
केवल 48 घंटे में ही शव में से जहर के प्रमाण गायब भी हो जाते हैं. जहर की केवल 100 मिलीग्राम पाने के लिए पेड़ की 6-8 पत्तियां काफी होती हैं. यह जहर तब चर्चा में आया, जब प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक सॉक्रेटीस पर इसका प्रयोग हुआ.
399 ईसा पूर्व में नास्तिकता के आरोप में उन पर पांच बार फिफटीन हेम्लेस का प्रयोग किया गया था.
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निकोटीन और पारा
निकोटिन को इंजेक्शन की मदद से शरीर में डाला जा सकता है, जिसके प्रयोग से व्यक्ति कोमा में चला जाता है और कुछ दिनों में उसकी मौत हो जाती है. पारे का प्रयोग यूं तो बैटरी और थर्मामीटर में होता है, लेकिन यदि इसका प्रयोग खाने में कर लिया जाए तो यह मौत का कारण बन सकता है.
हालांकि, हर तरह के पारे में यह शक्ति नहीं होती है. आम तौर पर पारा तीन तरह का होता है, जिसे छूने से कोई प्रभाव नहीं होता, पर खाने से शरीर को नुक्सान हो सकता है.
अकार्बनिक पारे का इस्तेमाल बैटरी में किया जाता है. जबकि, कार्बनिक पारे का इस्तेमाल घातक होताहै. जहर के असर से दांत और मांसपेशियों में कमजोरी आने लगती है. स्मृति हानि होती है और आंखों के सामने अंधेरा छा जाने लगता है. सुनने बोलने में दिक्कत होती है. तेज पसीना, उच्च रक्तचाप के कारण मौत हो जाती है.
प्रसिद्ध संगीतकार अमेडियस मोजार्ट को सिफलिस बीमारी थी. उन्हें उपचार के लिए पारा दिया गया था लेकिन इसी पारे के कारण उनकी मौत हो गई थी.
सल्फर मास्टर
सल्फर मास्टाइड एक सेलुलर विषाक्त पदार्थ है, जिसे रासायनिक हथियारों के रूप में भी जाना जाता है.
प्रथम विश्व युद्ध में इसका उपयोग मास्टर्ड गैस के तौर पर किया गया था, जो पीला भूरा रंग की थी और इसकी गंध लहसुन की तरह थी. 1% से कम मामलों में गैस का उपयोग जानलेवा हमलों के लिए किया गया है.
हालांकि, यह आमतौर पर क्लोरीन फॉम में मिलता है. इसके असर से शरीर की त्वचा, आंखों और फेफड़ों को जलन होती है और शरीर में फफोले निकल आते हैं. यह संक्रामक है, इसलिए एक के बाद एक कई लोगों को अपने असर में ले लेता है.
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सक्किनेल कोललीन
इस पदार्थ को सैक्सैथेरोनियम क्लोराइड के रूप में भी जाना जाता है, जिसका प्रयोग उपचार के दौरान या दवाओं के निर्माण में होता है. सैक्सिनेल कोल शॉर्ट टर्म पक्षाघात का कारण हो सकता है, जिसका असर केवल 10 मिनिट में शुरू हो जाता है.
जहर के असर से श्वसन प्रणाली के अंग काम करना बंद कर देते हैं.
परिणामस्वरूप सांस की कमी के कारण ऑक्सीजन सभी अंगो तक नहीं पहुंच पाती और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है.
सरीन
सरीन एक प्रकार का रंग और गंध रहित जहर है, जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में किया गया था.
यह साइनाइड की तुलना में 26 गुना अधिक घातक है. इसके असर से शरीर की नसें और हड्डियां अक्षम हो जाती हैं. ज्यादा असर होने पर व्यक्ति कोमे में चला जाता है और करीब 1 घंटे में मृत्यु हो जाती है.
20 मार्च 1995 को में एक समूह ने इसे टोक्यो सबवे स्टेशन पर इस्तेमाल किया था.
इसके परिणामस्वरूप 13 लोगों की मौत हुई और करीब 54 घायल हो गए. जबकि अन्य 980 लोगों पर जहर का असर हुआ.
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वीएक्स
यह यूनाइटेड किंगडम में बनने वाला सिंथेटिक तंत्रिका उत्पादक जहर है. इसका रंग और गंध की पहचान नहीं की जा सकती. यह स्वादहीन तरल पदार्थ होता है जो शरीर में जाने पर पक्षघात का कारण बनता है. इसके एक से ज्यादा लोगों को मारने पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया था.
हालांकि, इसे 1993 में आयोजित ‘केमिकल हथियार सम्मेलन’ में जहर को अवैध घोषित कर दिया गया. यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका की पहल पर इस जहर को नष्ट कर दिया गया था.
अपराध जगत का इतिहास ऐसे तमाम जहरीली कहानियों से पटा पड़ा है. जहर का निर्माण प्रकृति ने किया है, लेकिन उसके लक्षय कभी किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं रहा.
यदि प्रकृति में मौजूद इन जहरों का सही इस्तेमाल किया जाए, तो इनसे अमृत समान दवाएं बनाई जा सकती हैं, पर यह अवधारणा अपराध जगत के लोगों के लिए उपहास का कारण बन सकती है.
चूंकि उन्होंने जहर का मतलब केवल मौत ही निकाला है. इन जहरों से आपका परिचय करवाने के पीछे मकसद केवल इतना ही है कि इन जहरों के रासायनिक गुणाों का प्रयोग किसी की जान लेने नहीं, बल्कि जीवन देने के लिए किया जाए.
यदि वाकई ऐसा होता है, तो यह दुनिया में शांति कायम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है
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